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Tuesday 8 August 2023

नेह

छू गयी दिल को मेरे तेरी
 यही दिल लुभाने की अदाएं ,
कितना नेह है भरा दिल में तेरे ,
क्या सच में मैं इतनी ही मीठी हूँ या
 फिर ये सिर्फ एक वहम है मीठा सा ।
गर ये सच है तो क्यों दुखाते हो दिल मेरा ।
क्या मेरे दुःख से तुम्हें
 तनिक भी पीर नहीं होती ।
हाँ छूना चाहती थी मैं भी 
आस्मां जैसे दिल को तेरे ,
भागना चाहती थी मैं भी
 कभी तेरी हंसी के साथ
शायद कुछ तो कमी थी
 मेरी आराधना में ,
जो अधूरी ही रही मेरी पूजा 
पत्थर थे तुम ,
पाषाण ही तो थे जो कभी
समझ ही न पाए मेरी व्यथा को ।
कोई गम नहीं ,ये तो प्रकृति है तुम्हारी ,
कभी तो नम हो ही जाएंगी आँखें तुम्हारी ,
जब अंधेरों में कोई दीप झिलमिलायेगा ।
झलक मेरी पाकर एक बूंद पानी की आँखों से निकल कर जब पूछेगी ,
बताओ न क्या गलती थी मेरी ,
जो फेंक दिया तुमने मुझे
 बारिश की एक बूंद समझकर|
मैं मात्र एक बूंद ही तो नहीं थी,
'वर्षा 'हूँ आज भी सिर्फ तुम्हारी ।।







Friday 30 July 2021

आँसू

न जाने क्यों एक पल में ही आ जाते हैं ये आँसू 
न उम्र देखते हैं न जगह बस आँखों को भिगो जाते हैं ये आँसू 

खुशी का माहौल हो या फिर गमगीन नजारा 
बादलों की तरह अचानक बरस जाते हैं ये आँसू

किसी को लगते हैं सच्चे तो किसी को घड़ियाली नजर आते 
दिल का बोझ झट से हल्का कर जाते हैं आँसू

ममत्व का प्रतीक भी हैं तो दुःख का गहरा सागर भी 
उम्मीदों के सागर में अक्सर डुबकी लगा जाते हैं आँसू 




Sunday 24 January 2021

 174.

#ईश्वर के न्याय पर कभी संदेह नहीं करना चाहिए क्योंकि सब कुछ हमारे कर्मों का फल है, लेकिन मानवता को देखकर लगता है कि आज व्यक्ति कितना स्वार्थी हो गया है।ईश्वर में श्रद्धा कभी निष्फल नहीं जाती ।आप गीता पढ़िए जो किया है उसे भोगना जरूर पड़ेगा ।जब ईश्वर स्वयं इससे अछूते नहीं रहे तो हम तो इंसान हैं ।
वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़

 173.


दर्द ने पाला दर्द ने ही संभाला

दर्द ने मारा दर्द से ही दिल हारा
तोड़ तो देती है दुनिया ठोकरों से
मिलता यहाँ मुश्किलों से सहारा

 172.


 171.अजमेर से प्रकाशित आज 20 /10/20 के दैनिक आधुनिक राजस्थान में मेरी कविता...


 170.

#एक समय ऐसा भी होता है जब हम बहुत अच्छे होते हैं लेकिन एक समय के बाद हमारे अंदर सिर्फ बुराइयाँ ही नजर आती हैं। किसी का ताउम्र साथ देने का वास्ता देने वालों को जब वही व्यक्ति आँख का काटा बनकर चुभने लगता है तो लगता है जैसे हमें जीने का कोई अधिकार ही नहीं ।कहते हैं न अति हर चीज की बुरी होती है प्यार हो या नफरत हद से ज्यादा कोई पचा नहीं पाता ।दिल के सच्चे लोगों को ये दुनिया भी सच नजर आती है और वो सबको अपना मान लेता है ,लेकिन वही जब अधिकार समझ लिया जाता है तो सामने वाले व्यक्ति को बोझ लगने लगता है ।अरे ! ये तो मुझे अपनी जिंदगी चैन से नहीं जीने देता । कुछ ऐसा करो कि ये अपने आप चुप हो जाये ।किसी अपने की हद से ज्यादा केअर करना भी जब उसे समस्या लगने लगे तो क्या करना चाहिए ।कभी कभी हम सामने वाले व्यक्ति के हाथों में अपनी हँसी और खुश होने की जैसे बागडोर सौंप देते हैं लेकिन जब सामने वाला समझकर भी आपको हर्ट करता है तो जैसे जिंदगी एक बोझ लगने लगती है । हम जैसे लोग दुनिया में एक दो %ही होते हैं जो जिसको अपना मान लें उसके लिए पूर्ण समर्पित हो जाते हैं और जैसे खुद को आजीवन आँसूओं के समुद्र में डुबो देते हैं ।शायद ये बातें सभी को एक मजाक लगती हैं लेकिन मुझे लगता है यही इस दुनिया की वास्तविकता है कि आप जिसको जितना अपनी ओर खींचने की कोशिश करोगे वो आपसे उतना ही दूर हो जाएगा ।अलविदा एक छोटा सा शब्द है लिखने वालों के लिए लेकिन पढ़ने वालों के लिए जैसे एक बिजली का गिरना ।
संभल जा ओ नादान
समझ ले दुनिया की रीत को
किस्मत वाले होते हैं वो
जिन्हें बदले में मिलती है प्रीत भी
लुटा कर सर्वस्व भी जो
पल में ठुकरा दे दिल के संगीत को
क्या असर होगा उन पर
आँसूओं की खारी रीत से ।
वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़
May be an image of text that says "पिघल न जाये गर दिल ती कहनमा आँसूओं में मेरे संग संग चलना मिल जाये गर मुझ जैसा कोई और जो दिल चाहे सजा मुझे देना -Versha varshney Your uote.in"