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Thursday 6 April 2017

                                          ५3.गीत 

आप की मेहनत और जज्बा देखने लायक है ,हम लोगों को आपसे सीख लेने की जरूरत है !हार्दिक बधाई Yatindra Govil sir

https://www.youtube.com/watch?v=vOS4JNIW33A&feature=youtu.be


                        ५२.किसका आँचल  पाओगे 

आज 5/4/17 के दैनिक नवजम्मू (जनता की आवाज ) जम्मू और कश्मीर से प्रकाशित पेपर में मेरी रचना ,

                                                  ५१.कविता 

जय श्री कृष्णा ,आज 4/4/17 के ट्रू टाइम्स( नई दिल्ली) में मेरी रचना 

Monday 3 April 2017

                                          ५०.एक मुहीम 

Thanks Neeraj Kumar Singh ji इस मुहीम को आगे बढ़ाने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद ! कोई भी नेक काम जब तक पूरा नहीं हो सकता जब तक उसमें सभी का सहयोग न हो !कृपया इसको अपना समर्थन दें , ये हमारी और आपकी आस्था की बात है !!

ईश्वर को न बनाये प्रचार का माध्यम….एक अनुरोध!


वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़
बहुत दिनों से एक विचार रखने की कोशिश में हूँ ।क्या हमारे धर्म में अपने भगवान् की तस्वीर हर खाने पीने की चीज या पूजा से सम्बंधित वस्तुओं पर लगाने का जन्मसिद्ध अधिकार है या सामान को बेचने की प्रतिस्पर्धा ?क्या भगवान् की तस्वीर से सिद्ध होता है कि वस्तु की क्वालिटी बढ़िया है ?ये अधिकार किसने दिया है बाजार को ?क्या इन वस्तुओं का उत्पादन करने वाली कंपनी ने कभी गौर से सोचा भी है कि सामान को प्रयोग करने के बाद इन खाली पैकेट्स का क्या होता है ?जब मेरे यहाँ ऐसा कोई सामान आता है तो सोच में पड़ जाती हूँ कि इनका क्या करूँ ,क्योंकि इन खाली थैलों पर भगवान् के फ़ोटो लगे हैं ।जरा सोचिए क्या आपने ये काम किसी और धर्म में देखा है ? क्या ये हमारे भगवान् का अपमान नहीं है ? क्या आप इन खाली रैपर को कूड़े के ढेर में पैरों से ठोकर मारकर नहीं चलते ? मेरा अनुरोध है सभी कंपनी से कृपया अपने भगवान् को प्रचार का माध्यम न बनाएं । एक बार ध्यान से जरूर सोचें । हमारी आस्था मजाक का आधार कैसे बन गयी और कब ? आदरणीय योगी जी से अनुरोध है कृपया भगवान् के फोटो पूजा और खाने पीने की वस्तुओं पर वैन लगाने की कृपा करें ।

Saturday 1 April 2017

                                       ४९.एक अनुरोध 

मेरे विचारों को आज 1/4/17 के ट्रू टाइम्स (लखनऊ) में अपनी हिम्मत देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद राजेश्वर राय जी । 
आज के समय में इसकी बहुत आवश्यकता है  !