Followers

Thursday 10 May 2018

                                          ७६,भाग्य 

हमारा भाग्य हमसे दो कदम आगे चलता है । सही मायने में ईश्वर हमें हर पल आगाह करते हैं कि किसी भी मोड़ पर हिम्मत मत हारो ।सच्चे मन से मेहनत करते रहो ।हो सकता है भविष्य में ईश्वर ने आपके लिए कुछ और बहुत अच्छा सोच रखा हो ।

                        ७५,आगमन गोष्ठी ६ /५ /१८ 










जय माँ शारदे ,माँ शारदे की असीम अनुकम्पा से कल 6/5/18 को हिन्दू इण्टर कॉलेज, अलीगढ़ में "आगमन" साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समूह, अलीगढ़ की द्विमासिक कवि गोष्ठी डॉ. अशोक 'अंजुम' की अध्यक्षता में आयोजित की गयी । जिसका सफल संचालन डॉ. दिनेश कुमार शर्मा तथा अलीगढ़ नगर के प्रसिद्ध कवि एवं साहित्यकार नरेंद्र शर्मा 'नरेंद्र' ने किया । कवि गोष्ठी का श्रीगणेश गोष्ठी के अध्यक्ष डॉ. अशोक 'अंजुम' ने माँ सरस्वती एवं भारत माता के चित्रों पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन के साथ किया । सरस्वती वंदना खैर से पधारे भुवनेश चौहान 'चिंतन' ने प्रस्तुत की । मंचस्थ अतिथियों का स्वागत आगमन के पदाधिकारियों डॉ. दिनेश कुमार शर्मा, वर्षा वार्ष्णेय, पूनम शर्मा 'पूर्णिमा', नरेंद्र शर्मा 'नरेंद्र' ने किया ।
इस अवसर पर टीकाराम कन्या महाविद्यालय की प्रोफेसर डॉ. मंजू शर्मा 'वनिता' ने अपना काव्य पाठ करते हुए कहा...
'वक़्त की तरह मुश्किल है मेरा लौट कर आना,
याद मुझे मत करना तुम याद मुझे मत आना'
आचार्य रूप किशोर गुप्ता ने अपने काव्य पाठ में कहा...
'जिस थाली में खाते उसी में करें छेद
बेहया बेशर्म पूरे व्यक्त करें न खेद ।'
मुकेश उपाध्याय ने अपने काव्य पाठ में कहा..
'नहीं संजोये जाते कड़वी यादों के अवशेष
क्यों न पढ़ सके नयन समय का छोटा सा सन्देश ।'
तेजवीर सिंह त्यागी एडवोकेट ने अपना काव्य पाठ कुछ इस तरह से किया...
'सुख दुख में समता रहें, उपजें उच्च विचार
आपस में हो समर्पण, जीवन का है सार ।'
देव प्रशांत आर्य ने अपने काव्य पाठ में कहा...
'आज माँ को गद्दारों ने घेरा है
देश में पाखण्ड का अँधेरा है ।'
कवि गोष्ठी की प्रायोजिका वर्षा वार्ष्णेय ने कहा..
'क्या से क्या आज की कहानी हो गयी,
हर तरफ चर्चा रेप की दुनिया दीवानी हो गयी ।'
आगमन में अध्यक्ष डॉ. दिनेश कुमार शर्मा ने भ्रष्टाचार पर प्रहार करते हुए कहा...
'भ्रष्टाचारियों के हाथ भ्रष्टाचार में हैं डूबे,
उन्हीं के मुंह को लगा हुआ हराम है ।'
महानगर अलीगढ़ के ओज एवं व्यंग के कवि वेद प्रकाश 'मणि' ने अपने काव्य पाठ में कहा...
'चरण जिधर भी हमें ले जाएंगे,
वही आचरण का पता बताएंगे ।'
अभिषेक माधव ने अपने काव्य पाठ में कहा...
'श्रम, सादगी, शील,सत, सदाचार खान हो,
निज संस्कार की ही आप पहचान हो ।'
कवि श्रीयुत वार्ष्णेय ने अपने काव्य पाठ में कहा...
'बता नहीं सकता मैं तुमको, किस दिन सैर कराएगी ।
छुक-छुक करती रेल, किसी दिन गांव हमारे आएगी ।'
इगलास से पधारे सन्यासी रमेशानंद हठयोगी ने अपना सार गर्भित काव्य पाठ करते हुए कहा...
'मानवता का आज नहीं होता निखार,
अब हर तरफ गुंडा गर्दियाँ फैली हैं ।'
महानगर के सुप्रसिद्ध कवि ने अपने व्यंगात्मक काव्य पाठ में कहा...
'हमने मंत्री जी से पूछा,
अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाइए,
वे, बोले, जानना है तो पेट्रोल पंप पर जाइये ।'
हाथरस के प्रसिद्ध कवि डॉ. ब्रजेश शास्त्री ने अपने काव्य पाठ में कहा...
'आगमन में आपका जो आगमन हुआ,
मानो प्रेम का पदार्पण हुआ ।
कृतार्थ हम हुए, कृतार्थ आप भी,
काव्य कुंज का जो आज पल्लवन हुआ ।'
खैर से पधारे कवि भुवनेश कुमार 'चिंतन' ने अपने ओजस्वी काव्य पाठ में कहा...
'कब तक सोओगे, अब जागो नया सवेरा आएगा ।
केवल कोरी लफ्फाजी से, काम नहीं चल पाएगा ।।'
प्रकृति के कवि मनोज कुमार नागर ने जल-संरक्षण पर अपनी भाव-भीनी पंक्तियाँ इस प्रकार व्यक्त की...
'कर जल को बर्बाद निरर्थक, क्या बिन जल के मरने है ?
जल बिन जीवन नहीं सुरक्षित, अब जल संचित करना है ।'
इगलास के वयोवृद्ध कवि गाफिल स्वामी घुमक्कड़ ने अपना काव्य पाठ निम्न पंक्तियों से प्रारम्भ किया...
'गीत बेशक़ गुनगुनाओ वतन के
ख्वाब मत देखो किसी के दमन के ।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए नरेंद्र शर्मा 'नरेंद्र' ने अपने काव्य पाठ में कहा...
'आज होठों पे सवालों की बात मत लाओ,
ज़हन में गर्म ख्यालोंकी बात मत लाओ ।'
कवि गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए कवि अशोक 'अंजुम' ने कहा..
'यूँ निकला तस्वीर से, जिन्ना जी का जिन्न,
लोकतंत्र आहत हुआ, संविधान है खिन्न,
संविधान है खिन्न, व्यवस्था डगमग डोले,
नेता दागें रोज बयानों वाले गोले ।'
इसके अतिरिक्त कवि गोष्ठी में प्रवीण शर्मा 'दुष्यन्त', सुभाष तोमर,देव प्रशांत, निश्चल शर्मा आदि ने भी काव्य पाठ किया ।
इस अवसर पर ज्योति शर्मा, ओजस्वी शर्मा, दीपिका मिश्रा, वैद्य संत लाल, रामपाल सिंह, जितेंद्र मित्तल, डी. एस. राणा, ओ. पी. शर्मा, श्रीनिवास शर्मा, शीलेन्द्र शर्मा, अर्जुन देव, जसवंत सिंह, सहित सैकड़ों लोगों ने काव्य रसपान किया। अंत में आगमन अध्यक्ष डॉ. दिनेश कुमार शर्मा ने सभी का आभार व्यक्त किया ।

इसके अतिरिक्त कवि गोष्ठी में वेद प्रकाश 'मणि', डॉ. ब्रजेश शास्त्री, भुवनेश चौहान, प्रवीण शर्मा 'दुष्यन्त', श्री ओम वार्ष्णेय, सुभाष तोमर, अभिषेक माधव, पाणी अलीगढ़ी, बाबा रमेशानंद, देव प्रशांत, निश्चल शर्मा आदि ने भी काव्य पाठ किया ।
इस अवसर पर ज्योति शर्मा, ओजस्वी शर्मा, दीपिका मिश्रा, रामपाल सिंह, जितेंद्र मित्तल, डी. एस. राणा, ओ. पी. शर्मा, श्रीनिवास शर्मा, शीलेन्द्र शर्मा, अर्जुन देव, जसवंत सिंह, सहित सैकड़ों लोगों ने काव्यरस पान किया । अंत में आगमन अध्यक्ष डॉ. दिनेश कुमार शर्मा ने सभी का आभार व्यक्त किया ।

                             ७४,अधूरे हैं किस्से अभी 

मेरी रचना जीवन के कटु सत्य पर , सांध्य ज्योति दर्पण जयपुर ओर अलवर से प्रकाशित,

                                              ७३,भाव 




                                          ७२,डर

डर ****

किसी को खोने का डर ,किसी के डांटने का डर ,किसी के गुस्सा हो जाने का डर ,बचपन को जिसने दबा दिया उस व्यक्ति का डर ,जिंदगी को नरक बना देता है । कोई नहीं समझ सकता अनाथ बच्चों का दर्द ,जिसने कभी उस डर को महसूस ही नहीं किया वो कैसे समझ पायेगा उस दर्द को ,बैचैनी को ।जो दूसरों के दर्द को समझ पाए ,दुनिया में ऐसे लोग विरले ही होते हैं ।
माँ का साया ही बच्चे को निडर बनाता है बाकी तो दुनिया हर कदम पर डराती है । जाने क्यों और किस पाप की सजा मिली थी उसे जिसने उसकी स्वाभाविकता को कभी का छीन लिया था । जब भी वो कदम बढ़ाती वो आकर उसे डरा देती । देखा है जीवन में उसको खुद से लड़ते हुए ,अपने अकेलेपन से बातें करते हुए । अनाथ थी वो ,दुनिया के रहमोकरम पर पलते पलते कब बड़ी हो गयी ,पता ही नहीं लगा । आज भी हर छोटी बात पर जैसे सहम जाती है ।आप यदि किसी बच्चे को गोद लेते हैं या पालते हैं तो कृपया उसके दिल मे इतना डर न पनपने दें कि वो अपनी जिंदगी को जीना ही भूल जाये ।आज किसी अनाथ बच्चे को गोद लेना जैसे समाज में अपना रुतबा बढ़ाना है ।क्या आप उसे माँ बाप का प्यार दे सकते है ?क्या उसे एक सहज जिंदगी दे सकते है ?यदि हां तभी अपने कदम आगे बढ़ाएं वरना इसके लिए अनाथाश्रम ही बहुत हैं ।
जिंदगी को जिंदगी ही रहने दें ,
मजाक न बनाएं ।
टूट न जाए कही किसी का दिल
तोड़कर कांच को धार न बनाएं ।