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Tuesday 8 August 2023

नेह

छू गयी दिल को मेरे तेरी
 यही दिल लुभाने की अदाएं ,
कितना नेह है भरा दिल में तेरे ,
क्या सच में मैं इतनी ही मीठी हूँ या
 फिर ये सिर्फ एक वहम है मीठा सा ।
गर ये सच है तो क्यों दुखाते हो दिल मेरा ।
क्या मेरे दुःख से तुम्हें
 तनिक भी पीर नहीं होती ।
हाँ छूना चाहती थी मैं भी 
आस्मां जैसे दिल को तेरे ,
भागना चाहती थी मैं भी
 कभी तेरी हंसी के साथ
शायद कुछ तो कमी थी
 मेरी आराधना में ,
जो अधूरी ही रही मेरी पूजा 
पत्थर थे तुम ,
पाषाण ही तो थे जो कभी
समझ ही न पाए मेरी व्यथा को ।
कोई गम नहीं ,ये तो प्रकृति है तुम्हारी ,
कभी तो नम हो ही जाएंगी आँखें तुम्हारी ,
जब अंधेरों में कोई दीप झिलमिलायेगा ।
झलक मेरी पाकर एक बूंद पानी की आँखों से निकल कर जब पूछेगी ,
बताओ न क्या गलती थी मेरी ,
जो फेंक दिया तुमने मुझे
 बारिश की एक बूंद समझकर|
मैं मात्र एक बूंद ही तो नहीं थी,
'वर्षा 'हूँ आज भी सिर्फ तुम्हारी ।।