
versha varshney {यही है जिंदगी } जय श्री कृष्णा मित्रो, यही है जिंदगी में मैंने मेरे और आपके कुछ मनोभावों का चित्रण करने की छोटी सी कोशिश की है ! हमारी जिंदगी में दिन प्रतिदिन कुछ ऐसा घटित होता है जिससे हम विचलित हो जाते हैं और उस अद्रश्य शक्ति को पुकारने लगते हैं ! हमारे और आपके दिल की आवाज ही परमात्मा की आवाज है ,जो हमें सबसे प्रेम करना सिखाती है ! Bec Love iS life and Life is God .
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Sunday, 26 March 2017
४५.गीत
मेरे गीत को अपनी आवाज और सुर में ढालने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया Yatindragovil सर !
रंगों की फुहार में दिल डूबने को चाहे श्याम के संग राधिका देखो कैसे है लजाए
Yatindra Govil
Thursday, 23 March 2017
४३.वार्ष्णेय मंडल समारोह
जय श्री कृष्णा ,आप सभी का दिन शुभ हो । वार्ष्णेय विष्णुपुरी मंडल का होली मिलन कार्यक्रम मुझे वो ख़ुशी देकर गया जिसकी मैंने स्वप्न में भी कल्पना नहीं की थी! अपने से बड़ों से जब हमें सम्मान के रूप में कुछ शब्द मिलते हैं तो दिल को बेइंतहा ख़ुशी दे जाते हैं । वो किसी भी बड़े सम्मान से ज्यादा होते हैं। अपने कॉलेज के सर द्वारा मिली तारीफ़ दिल को छू गयी । बहुत बहुत धन्यवाद ईश्वर का ,मेरे गुरुजनों का जिन्होंने मुझे कृतज्ञ कर दिया । मेरे गुरुजन श्री वार्ष्णेय कॉलेज के प्रोफेसर shri Nirmal kumar ji , shri S.k.varshney ji ,Mam kamla kumar ji adhyaksh of varshney civil line mandal Aligarh.
कार्यक्रम की सफलता के लिए मंडल के सभी माननीय सदस्यों के लिए बहुत बहुत बधाई ।
कार्यक्रम की सफलता के लिए मंडल के सभी माननीय सदस्यों के लिए बहुत बहुत बधाई ।
४१.रे दिल
जय श्री कृष्णा मित्रो ,आप सभी का दिन शुभ हो । (18/4/17)के दैनिक हमारा मेट्रो में मेरी रचना ,
रे दिल के खालीपन को तुम कैसे भर पाओगे !
जब वफ़ा का मतलब भी सिर्फ भोग से लगाओगे !!
प्यार नहीं होता कभी भी जिस्म का मोहताज !
इश्क़ है खुदा की सच्ची इबादत तुम कैसे समझ पाओगे !!
पूजा था जिस दिल को एक पत्थर ने खुदा की तरह !
क्या उसकी इबादत का मोल भी लगा पाओगे !!
प्यार करना लगता है आज भी जिनको एक खेल ताश का !
उस ताश के महल पर घर कैसे बना पाओगे !!
लैला मजनूँ की कहानियां पढ़ने में लगती हैं बहुत ही आसान !
मोहब्बत को निभाना एक सजदे की तरह कैसे सीख पाओगे !!
प्यार करना और निभाना दोनों जज्बात हैं अलग !
मिल्कियत प्यार की कैसे ,तुम सहेज पाओगे !!
दिल की तड़फ कहती है आज भी
वफ़ा की कहानी !
सब्र है सीने में दफन कितना, कैसे यकीं कर पाओगे !!
जानशीं हो तुम ,जान भी तुम्हीं से जिंदा रहती है !
ओ प्यार के खुदा कब मोहब्बत को कबूल कर पाओगे !!
वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़
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