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Saturday, 6 May 2017

                                          ७६.माँ 


Versha Varshney's photo.
विद्या हमें ज्ञान देती है इस तथ्य को सभी जानते हैं फिर भी आज के इस पड़े लिखे समाज में एक पिता के मरने के बाद क्या एक माँ अछूत हो जाती है ।क्या वो माँ नहीं रहती ।क्या उसका स्थान माँ से हटकर कुछ और हो जाता है । आज भी समाज में ये मान्यता क्यों है की एक विधवा के हाथ लगाने से कुछ अशुभ हो जायेगा । ये धारणा भी समाज में कुछ पाखण्ड में यकीं रखने बाले लोगों के द्वारा ही फैलाई हुई है ।पढ़ लिखकर भी यदि हम इन धारणाओं से दूर न हो सके तो हमारा पढ़ना लिखना व्यर्थ है ।मेरी आप सभी मित्रों से प्रार्थना है की एक माँ के दर्द को समझें ।माँ ,हमेशा एक माँ ही रहती है चाहे वो सुहागन हो या विधवा । माँ का स्थान कभी नहीं बदल सकता ।बहुत दुःख होता है जब पढ़े लिखे लोगों को ऐसा करते हुए देखती हूँ की जिस माँ ने आपको बड़ा किया उसके विधवा होने पर समाज के साथ साथ उसके परिवार बाले भी उसे उचित सम्मान नहीं देते ।

                                 ७५.जिंदगी 


                                 ७४.शेर 

भोपाल के अग्र ज्ञान साप्ताहिक में मेरे कुछ शेर आपकी नजर ,थैंक्स संपादक मंडल ।

                                            ७३.दुनिया 




जय श्री कृष्णा 




                                              ७२.धडकन 

धड़कन है तू ,दिल हूँ मैं तेरा ।
जीने का अंदाज तू ,मैं आईना हूँ तेरा ।

                                  ७१.अपने 

आज के भौतिक युग में शारीरिक सुखों से ज्यादा मन की शांति जरूरी है जो कि सिर्फ प्यार से ही मिल सकती है ।किसी की प्यार भरी बोली आपको वो सुकून देती है जो आप कीमती वस्तुओं को खरीदकर भी नहीं पा सकते । क्या कभी आपने महसूस किया है जब आप बीमार या थके हुए होते हैं ,उस समय यदि कोई आपके पास बैठकर दो मीठे बोल भी बोल देता है तो उससे ज्यादा अपना कोई नहीं लगता ।ये बातें शायद हर व्यक्ति नहीं समझ सकता ।इन बातों की गहराई और मार्मिकता सिर्फ संवेदनशील व्यक्ति (पुरुष,या स्त्री )ही समझ सकते हैं । किसी के मीठे बोल दिल में बस जाते है,क्योंकि प्यार ही जीवन का आधार है

                                     ७०.बेटियां 

जय श्री कृष्णा ,मेरी कविता बेटियां सौरभ दर्शन (साप्ताहिक राजस्थान भीलवाड़ा) में आभार संपादक मंडल ।