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Monday 13 January 2020

प्रेम और तुष्टिकरण

एक दूसरे की भावनाओं को समझना दुनिया का सबसे दुष्कर कार्य है ।प्रेम की मूल भावना प्रेम को बाहरी रूप में देखना ही नहीं अपितु प्रेम की गहराई में उतरना है । कुछ अनसुलझे सवालों को तलाशना भी प्रेम का ही रूप है । प्रेम को परिधि और शर्तों में बाँधना भी प्रेम का अपमान करना ही तो है ।क्या पानी को कोई रोक पाया है ?क्या लहरों को कोई बाँध पाया है ?क्या सूरज की किरणों का किसी व्यक्ति या स्थान विशेष से प्रेम है ?क्या हवा को कोई मोड़ पाया है जब प्रकृति स्वतंत्र निर्बाध रूप से अपना संचालन करती रहती है फिर इंसान किसी के बंधनों में कैसे खुली साँस ले सकता है ? प्रेम सिर्फ सुख में साथ रहने का नाम नहीं अपितु अपने साथी का हर पल सुख दुख दोनों में समान रहने का नाम है ।जब भावनाओं का ज्वार अपने चरम पर होता है तब वह सिर्फ उस व्यक्ति को ढूँढता है जिसके सामने वो खुद को बिना किसी रोक टोक के खुलकर व्यक्त कर सके ।प्रेम में न उम्र मायने रखती है न ही व्यक्ति की सुंदरता बल्कि जिससे प्रेम होता है वो व्यक्ति दुनिया का सबसे सुंदर व्यक्तित्व होता है ।पेम वो सम्मोहन है जो बाहरी व्यकित्व पर आश्रित नहीं बल्कि व्यक्ति की आंतरिक विशेषताओं की ओर सहज आकृष्ट हो जाता है ।
प्रेम में दुनिया को अपनी ओर खींचने की प्रबल शक्ति होती है ।जो कार्य आप लड़ाई से पूरा नहीं कर सकते वही प्रेम के दो मीठे बोल से आसानी से अपने ध्येय को प्राप्त कर लेता है ।आज लोगों के पास बड़े बड़े मोबाइल, टीवी ,अत्याधुनिक उपकरण सभी कुछ तो है लेकिन कमी है तो सिर्फ प्रेम की ,शांति की ,विश्वास की ।
प्रेम जैसा सुर नहीं ,
प्रेम जैसा संगीत कहाँ 
हृदय जिसको ढूँढता 
वो प्रेमी मनमीत कहाँ ।

समझ जाए मन की विकलता 
बिन किसी उलाहना के 
धन्य हो जाये जीवन 
फिर गहन आकुलता कहाँ ।

प्रीत ही गहरी अगन 
प्रीत ही है व्यवहारिकता
साँस में सहज घुल जाए 
खो गयी वो व्याकुलता कहाँ ।

अश्रुओं का बाँध है 
धड़कनों का जाम है 
महका दे टूटे ह्रदय को 
प्रेम की वो सहजता कहाँ ।


Friday 10 January 2020

विश्व हिंदी दिवस

विश्व के माथे पर अटल बिंदी है 
सरताज है सदियों से विश्व की 
पताका जिसने  है फहरायी ,
विश्व में उसका नाम हिंदी है  ।

Saturday 4 January 2020

4 .रचना


3 .रचना

   जय श्री कृष्ण मित्रो ,जयविजय पत्रिका में प्रकाशित मेरी रचना ।
]}जनवरी }


2 .रचना

अमर उजाला" काव्य में प्रकाशित


1 ,शायरी

                                              1 .




ये कड़कड़ाती हुई बिजलियाँ जाने क्यों अहसास दिलाती हैं,

 टूट गया आज दिल किसी का ,शायद यही याद दिलाती हैं ।


जीवन नहीं है आसान,लगता गणित का प्रश्न है!


अपूर्ण है जीवन,जब तक उत्तर नहीं सम्पूर्ण है !!

Wednesday 1 January 2020

2020 मंगलमय हो जय श्री कृष्ण

स्वागतम 2020💐💐💐💐💐💐
सुप्रभात जय श्री कृष्ण आप सभी को कैलेंडर वर्ष 2020 शुभ और मंगलदायक हो 
#न कोई वादा न कोई इकरार करते हैं 
19 को विदा करके हम भी 20 में चलते हैं
  बीते हुए दिनों से लेकर सबक खट्टे मीठे 
आने वाले दिनों का स्वागत करते हैं ।।#
वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़