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Monday 30 December 2019

144,दिल से दिल की बात आज भी फिजूल है,

प्यार की शुरुआत आज भी दिल से नहीं चेहरे को देखकर होती है ।


राजनीति पर बोलना

बहुत आसान है ,
जरा रिश्तों पर बोलकर दिखाओ तो जानें ।
चुप हो गए हैं यूँ आजकल मौसम
रिश्तेदार हों जैसे वो बहुत ही करीबी ।

दोस्ती पर बोलना बहुत आसान है
जरा प्रेम पर बोलकर दिखाओ तो जानें
खनखनाहट पैसों की भुला देती है
प्रेम की नसीहतें ,नफरतों का बन गया है
यूँ आज आदमी आदी ।

ठंड पर बोलना बहुत आसान है
जरा ठंडे पड़े आदमी पर बोलो तो जानें
फेंक देते हैं मरते ही उसके बिस्तर
वसीयत ,धनदौलत ,जेवर से बढ़ गया है
वर्षा यूँ वास्ता जैसे हो वही सच्चा प्रेमी ।
वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़

143,जय श्री कृष्ण

जहाँ अभिमान होता है वहाँ प्रेम यानि कृष्ण
का वास हो ही नहीं सकता /

142,जय श्री कृष्ण



*साँसें एक हैं

धड़कन भी एक
कहो ,न फिर
क्यों हैं भेष अनेक ।*

*संगीत है कृष्ण
गीत है राधे ,
एक दूजे बिन
लगते आधे आधे ।*
जय श्री राधे ।
वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़

141,फिर आप सभी अपने बच्चों को हिंदी मीडियम में क्यों नही पढ़ाते ,क्यों इंग्लिश मीडियम के चक्कर काटते हैं ।

जय श्री कृष्ण मित्रो ,
*प्रेम हर बोझ को हल्का बना देता है ।*

छत्तीसगढ़ से प्रकाशित दैनिक हिंदी समाचार पत्र 26/12/19 में प्रकाशित मेरी रचना ,आभार संपादक मंडल ।

140.जय श्री कृष्ण मित्रो ,साहित्यसुधा में प्रकाशित मेरी रचना 

139,जय श्री कृष्ण मित्रो ,सौरभ दर्शन राजस्थान में प्रकाशित

138,चलते रहना ही है जिंदगी तेरी

जो रुक गया तो मौत है तेरी ।
जिंदगी है कभी घनी धूप
तो कभी आएगी तेरी बारी भी ।

वक़्त इंसान की स्वाभाविक प्रकृति को तो बदल सकता है लेकिन उसके भाग्य को बदलना वक्त के भी बस में नहीं ।

ये कैसा समाज है जो आज भी सिर्फ और सिर्फऔरत को ही प्रताड़ित करता है,जितने ऊँचे घर उतनी ही बंदिशें ......

137.


  • Versha Varshney's photo.
    Versha Varshney's photo.
    Versha Varshney's photo.
    Versha Varshney's photo.
    जय श्री कृष्ण ,
    प्रियाकांत जू और अक्षय पात्र मंदिर वृंदावन के दर्शन हुए ।अक्षय पात्र मंदिर में पुजारी जी का कहना था कि गीता जयंती चल रही है आपको यहाँ से गीता दर्शन जरूर लेना चाहिए । मैंने कहा हमारे घर में गीता पहले से ही है ,लेकिन गीता के सार को कितने लोग अपने जीवन में उतार पाते हैं ।गीता के मूल सिद्धांत को जिस दिन हम सभी ने चरितार्थ कर लिया फिर तो इस संसार में दुख का नामोनिशान ही मिट जाएगा ।
    *जो हुआ अच्छे के लिए हुआ ।
    *जो हो रहा है उसमें भी अच्छाई है ।
    *जो होगा वो भी अच्छे के लिए ही होगा ।
    फिर हम सभी इतने परेशान और दुखी क्यों ?
    आइये अपने जीवन में गीता के सार को ग्रहण करें और सबके मंगल की कामना करें ।
    वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़

136.जय श्री कृष्ण मित्रो ,लखनऊ से प्रकाशित जयविजय पत्रिका के दिसंबर अंक में ।

135,


कल के बदायूँ एक्सप्रेस में,

सुबह उठो और समाचार पत्र पढ़ो ।इंसान सुबह ऊर्जा से भरपूर होता है लेकिन अखबार पढ़ते है जैसे उसका दिमाग संज्ञा शून्य हो जाता है ।आजकल सबसे बड़ी खबर सिर्फ बलात्कार छाई हुई है ।आखिर क्यों होते हैं बलात्कार ?क्या किसी ने सोचा है ?उसकी जड़ें कहाँ तक फैली हुई हैं ?कारण क्या हैं ? आजकल जब भी बाजार या किसी काम के सिलसिले में बाहर जाती हूँ चारों ओर देखकर ऐसा लगता है जैसे दुपट्टा वाला मौसम अब रहा ही नहीं । जिधर देखो लड़कियाँ बिना दुपट्टे के नजर आती हैं ।क्या वो लड़कियां जिनका डील डौल एक्स्ट्रा ओवर है उन्हें बेतुके कपड़े शोभा देते हैं ?जब वो घर से बाहर निकलती हैं तो घर में मौजूद माँ या परिवार का कोई सदस्य कुछ कहता नहीं /
अब मुद्दा ये कि जब आप बाहर जाती हैं तो सभी लोग देखते हैं ।आपने tv ऑन किया एक add आता है बाइक का जिसमें लड़की अर्धनग्न कपड़े पहनकर लड़के के साथ शूट कर रही हैं ।आपने दूसरी जगह कुछ और देखना चाहा वहाँ भी अंडर वियर का ऐड चल रहा है जहाँ लड़की साथ में है ।क्या ये ऐड बिना लड़की के नहीं हो सकते ?क्या लड़कियाँ मनोरंजन की वस्तु हैं या प्रॉफिट का जरिया ?
मोबाइल पर तो कोई रोक है ही नहीं छोटे बच्चे बड़ों से ज्यादा एक्टिव रहते हैं । अब जब ये सारी बातें खुलेआम बच्चे बड़े सभी देख रहे हैं तो मन मे विचारों में उत्तेजना आना स्वाभाविक है और यहीं से जन्म होता है बलात्कार का ।इंसान देखता कहीं और है और उसका नतीजा किसी और मासूम को भुगतना पड़ता हैं ।हम कहाँ जा रहे हैं आदिम युग में या आधुनिक बनने की झूठी दौड़ में अपने बच्चों को जीते जी नरक दे रहे हैं ।संस्कार सभ्यता और पाश्चात्य संस्कृति का कोई मेल नहीं ।आइये अपने बच्चों को सही सीख दें तभी हम अपनी सभ्यता को बचा सकते हैं ।धन्यवाद
वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़

134.जय श्री कृष्ण मित्रो ,आपका दिन शुभ हो । आज समाज को हैदराबाद जैसे एनकाउन्टर की कितनी जरूरत है , ये पूरी तरह स्पष्ट हो चुका है ।राष्ट्रीय हिंदी दैनिक *आज *में मेरे विचार,


133,जय श्री कृष्ण मित्रो ,

जय श्री कृष्ण मित्रो आपका दिन शुभ हो ,मेरी रचना राष्ट्रीय हिंदी दैनिक *आज*'समाचार पत्र में प्रकाशित ,


132,जय श्री कृष्ण मित्रो ,

छत्तीसगढ़ से प्रकाशित दैनिक नवीन कदम में मेरी रचना ,

131,कभी कभी सब भूल जाने को दिल करता है ,

सिर्फ माँ की बाहों में झूमने को मन करता है ।
वो बचपन के खेल खिलौने ,वो बचपन का प्यार ,
उदासियों से बाहर आने को मन करता है ,
कभी कभी ........
छल कपट से दूर ,जगमगाता संसार
बचपन की नादानियों में रम जाने को मन करता है ।
कभी कभी ........
कब सुनाई देती थीं ,नए दौर जैसी बुरी कहानियां ।
वो झूठी ही सही परियों को बुलाने का मन करता है ।
कभी कभी .......
मंजिलों की होड़ में मुश्किल था अपनों को भूल पाना ,
भुलाने की नाकाम कोशिशों से भागने को मन करता है ।
कभी कभी .......
वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़

130.जय श्री कृष्ण मित्रो आपका दिन शुभ हो।राजस्थान से प्रकाशित पाक्षिक समाचार पत्र *सौरभ दर्शन* में प्रकाशित मेरी कविता

129.december

सहित्यसुधा में प्रकाशित मेरी रचना ....

128.हमारे समाज में आये दिन बलात्कार जैसे जघन्य वारदातों को देखकर लगता है कि सरकार को स्कूलों में नैतिक शिक्षा को फिर से जारी करना चाहिए ।हमारे समय में स्कूलों में नैतिक शिक्षा एक अनिवार्य पाठ्यक्रम होता था लेकिन समय के साथ न जाने क्यों काफी जगह इसे बंद कर दिया गया ।हमारे संस्कार और नैतिक ज्ञान को देने वाले माध्यम लगभग शून्य हो चुके हैं ।अभी कुछ दिनों पहले मैं अपने बेटे के साथ मंगलायतन मन्दिर गयी जहाँ मंदिर की दीवारों पर हज़ारों श्लोक और नीति वचन लिखे हुए थे ।उनको पढ़कर सहसा अपने मंदिरों का ध्यान आया । काश हमारे भी सहस्त्रों मन्दिरों की दीवारों पर भी कुछ नीति वचन, उपदेश और चित्र हों तो वहाँ जाने वाले बच्चों के कोमल मन पर उसका असर गहराई तक हो । आज समाज को व्यवहारिक ज्ञान की परम आवश्यकता है । हमारे ग्रंथों और पुराणों में नरक और स्वर्ग की जो व्याख्या की गई है वो इंसानों को सही रास्ते पर ले जाने के लिए ही रची गई ,लेकिन आज वो सिर्फ ग्रन्थों में दबकर रह चुकी है ।मंदिरों और सार्वजनिक स्थानों पर आज इन्हें चित्रित की जाने की अत्यधिक आवश्यकता है । यदि हमें अपने बच्चों को सही शिक्षा देनी है तो इस ओर ध्यान देना ही होगा वरना आज की कारुणिक सच्चाई किसी से छिपी नहीं है ।

127.

"#बलात्कार या पागलपन #
आदिकाल से वर्तमान युग तक महिलाओं की स्थिति में कितना बदलाव आया है  ये सब जानते हैं । ये तो बहुत छोटी सी बात है ,लड़कियों महिलाओं और छोटी बच्चियों के साथ   छेड़खानी किससे छिपी हुई हैं ।कल रात की ही तो बात है जब अपने हस्बैंड के साथ शादी में से लौट रही थी ,4 बहुत कम उम्र के लड़के बीच रास्ते में चल रहे थे । कई बार हॉर्न बजाने पर भी बीच मे से नहीं हटे ।लड़कों की शराफत तो देखिए कि अपनी माँ की उम्र की औरत को देखकर ,तेरी जवानी ...... गीत गाने लगे ।आखिर इन बच्चों को ये शिक्षा कहाँ से मिलती है ?क्या बलात्कार धर्म और जाति को देखकर किये जाते हैं या फिर मानसिक बीमारी की वजह से लोग अब एक औरत को सिर्फ मनोरंजन की वस्तु मान बैठे हैं।? क्या हमारे चारों तरफ का माहौल एक लड़की को सुरक्षा देता है ? आज जब लड़कियाँ प्रत्येक क्षेत्र में अपनी धाक जमा रही हैं फिर औरतों की सुरक्षा को लेकर इतनी लापरवाही क्यों ?आखिर कब तक विक्षिप्त मानसिकता लिए घूमते रहोगे ।यदि बचपन से ही एक लड़के को अच्छे संस्कार दिए जाएं और जो रोक टोक एक लड़की के लिए लागू हैं वही लड़कों पर भी लागू होने लगे तो बलात्कार काफी हद तक रुक सकते हैं ।
#कमजोर नहीं वो तुम्हारी माँ भी है 
शक्ति का दूसरा नाम चंडी दुर्गा भी है ।
कहीं छीन न ले काली बनकर तलवार तुम्हारी ,
पूजित जिस जहाँ में माँ भवानी भी है ।@#
वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़"
#बलात्कार या पागलपन #
आदिकाल से वर्तमान युग तक महिलाओं की स्थिति में कितना बदलाव आया है ये सब जानते हैं । ये तो बहुत छोटी सी बात है ,लड़कियों महिलाओं और छोटी बच्चियों के साथ छेड़खानी किससे छिपी हुई हैं ।कल रात की ही तो बात है जब अपने हस्बैंड के साथ शादी में से लौट रही थी ,4 बहुत कम उम्र के लड़के बीच रास्ते में चल रहे थे । कई बार हॉर्न बजाने पर भी बीच मे से नहीं हटे ।लड़कों की शराफत तो देखिए कि अपनी माँ की उम्र की औरत को देखकर ,तेरी जवानी ...... गीत गाने लगे ।आखिर इन बच्चों को ये शिक्षा कहाँ से मिलती है ?क्या बलात्कार धर्म और जाति को देखकर किये जाते हैं या फिर मानसिक बीमारी की वजह से लोग अब एक औरत को सिर्फ मनोरंजन की वस्तु मान बैठे हैं।? क्या हमारे चारों तरफ का माहौल एक लड़की को सुरक्षा देता है ? आज जब लड़कियाँ प्रत्येक क्षेत्र में अपनी धाक जमा रही हैं फिर औरतों की सुरक्षा को लेकर इतनी लापरवाही क्यों ?आखिर कब तक विक्षिप्त मानसिकता लिए घूमते रहोगे ।यदि बचपन से ही एक लड़के को अच्छे संस्कार दिए जाएं और जो रोक टोक एक लड़की के लिए लागू हैं वही लड़कों पर भी लागू होने लगे तो बलात्कार काफी हद तक रुक सकते हैं ।
#कमजोर नहीं वो तुम्हारी माँ भी है
शक्ति का दूसरा नाम चंडी दुर्गा भी है ।
कहीं छीन न ले काली बनकर तलवार तुम्हारी ,
पूजित जिस जहाँ में माँ भवानी भी है ।@#
वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़

126.खामोशियों में अक्सर सिमट जाते हैं वो जज्बात ,

जिन्हें कबूल करने की आदत बेबजह नहीं होती ।

बदल जाते हैं लोग अक्सर वक़्त के साथ ,
पता था हमें ,
लहरों को कभी साहिल नहीं मिलता ।

बेपनाह मोहब्बत का अंजाम कुछ यूँ भी देखा हमने
#डूबते गए दरिया में और किनारा भी नजर आता रहा /#


पूँजीवादी युग में हुनर की पहचान कहाँ ,
पैसे के दम पर चलती है आज भी दुनिया यहाँ ।
प्रतिभाओं का सम्मान ##
या पैसों का आदान प्रदान।

125.जय श्री कृष्ण मित्रो शुभ संध्या,💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐 

छत्तीसगढ़ से प्रकाशित दैनिक हिन्दी समाचार पत्र ‘नवीन कदम’ का 21 नवंबर 2019 के साहित्य पृष्ठ पर मेरी कविता,

124.सुप्रभात मित्रो ,जय श्री कृष्ण आपका दिन शुभ हो ।छत्तीसगढ़ (रायगढ़)से प्रकाशित समाचार पत्र* दैनिक नवीन कदम *के 17/11/19 के साहित्य पेज पर मेरी कविता ,