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Monday 30 December 2019

118.november

क्या रीत है हमारे समाज की ,
दान की हुई चीज पर अधिकार नहीं होता ।
क्या बेटियां भी बेजान चीज होती है जो एक मिनट में परायी कर दी जाती है ।किसने बनाई ये रीत😢😢

हर व्यक्ति के जीवन में कम से कम एक व्यक्ति तो ऐसा होना ही चाहिए जिसके साथ वो अपने सारे दुख सुख बाँट सके ।जिसके कंधे पर सर रखकर रो सके ।दुनिया मे कहने के लिए तो बहुत सारे मित्र रिश्तेदार सगे संबंधी होते हैं लेकिन वक़्त पर किसी का साथ मिलना बहुत खुशनसीबी होती है ।हम सभी की जिंदगी में एक समय ऐसा भी आता है जब किसी अपने की बहुत जरूरत होती है ,लेकिन "जाके पैर न फटी बिबाई वो क्या जाने पीर पराई "वाली कहावत चरितार्थ होती है ।

वृन्दावन मेरा मन कर दो ,
कान्हा जिसके स्वामी हैं ।
प्राण जाए तुम्हारी याद में ,


आत्मा कान्हा की दासी हो ।


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