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Monday 30 December 2019

126.खामोशियों में अक्सर सिमट जाते हैं वो जज्बात ,

जिन्हें कबूल करने की आदत बेबजह नहीं होती ।

बदल जाते हैं लोग अक्सर वक़्त के साथ ,
पता था हमें ,
लहरों को कभी साहिल नहीं मिलता ।

बेपनाह मोहब्बत का अंजाम कुछ यूँ भी देखा हमने
#डूबते गए दरिया में और किनारा भी नजर आता रहा /#


पूँजीवादी युग में हुनर की पहचान कहाँ ,
पैसे के दम पर चलती है आज भी दुनिया यहाँ ।
प्रतिभाओं का सम्मान ##
या पैसों का आदान प्रदान।

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