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Monday 30 December 2019

112.जिंदगी तेरी वफ़ादारियाँ और सहन नहीं होती ,

मौत से ज्यादा करीब तू भी तो नहीं ।

लहू का रंग तो एक ही है ,
फिर जातियों का बँटवारा
क्यों और किसके लिए ??
फैला रहे हैं जो उन्माद
जाति की आड़ में
क्या भला कर रहे हैं वो
समाज के लिए ????

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