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एक लड़की का न कोई घर हुआ न होगा
उधार रही जिंदगी कुछ प्यार की उम्मीद में ।
सलीब पर लटकी रूह का
उधार रही जिंदगी कुछ प्यार की उम्मीद में ।
सलीब पर लटकी रूह का
न कोई आशियाँ हुआ न होगा ।
- जय श्री कृष्ण 22 july— with Pawan Jain.
गीत-ऋषि, काव्य- शिरोमणि नीरज जी की पुण्यतिथि के अवसर पर हिंदू इंटर कॉलेज अलीगढ़ के हिंदी भवन में "आगमन"साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समूह,अलीगढ़ के तत्वावधान में एक काव्य संगोष्ठी का अलीगढ़ महानगर के कवि श्री युत् श्री ओम वार्ष्णेय के संयोजन मेंआयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता अलीगढ़ महानगर के वरिष्ठ एवं वयोवृद्ध कवि एवं गीतकार श्री प्रेम शर्मा ' प्रेम' ने की और सरस ,सफल एवं प्रशंसनीय संचालन घुमक्कड़ कवि गाफिल स्वामी ने किया ।
सरस्वती वंदना सुभाष सिंह तोमर ने प्रस्तुत की। इस अवसर पर, " आगमन" साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समूह के अध्यक्ष साहित्य तथा हिंदू इंटर कॉलेज के प्रिंसिपल डॉक्टर दिनेश कुमार शर्मा ने भ्रष्टाचार पर व्यंग्य कसते हुए अपने काव्य पाठ में कहा :---
" भ्रष्टाचारियों के हाथों के हाथ भ्रष्टाचार में डूबे, उनहीं के मुंह को लगा हुआ हराम है।
ईमानदार को मिले रोटी भरपेट आज सत्यता को दिया क्या नया ही अंजाम है।।"
"आगमन" की सचिव वर्षा वार्ष्णेय ने अपना काव्य पाठ करते हुए करते हुए कहा :---
"प्रेम की वीणा पर जब भी छलक जाते हैं कदम,
सराबोर हो जाता है यूं ही बहक जाता है मन।"
"आगमन"के संरक्षक अलीगढ़ महानगर के प्रसिद्ध गीतकार कवि नरेंद्र शर्मा 'नरेंद्र' ने नीरज जी को समर्पित करते हुए निम्न पंक्तियों से काव्य पाठ प्रारंभ किया :---
" सब देखते ही रह गए उड़ते गुबार को,
जाने कहां चला गया गीतों का कारवां।
साहित्यकार बहुत हैं दुनिया के पटल पर,
नीरज में थी जो बात किसी और में कहां!"
इसी श्रंखला में "आगमन" की सह सचिव पूनम शर्मा 'पूर्णिमा' ने अपने काव्य पाठ में कहा:---
" नए लगायौ भूम से, कर बैठौ स्वीकार ,
बिन मौसम घन कर गयौ, ओलों की बौछार।"
नवोदित गीतकार पद्म अग्रवाल ने अपना काव्य पाठ करते हुए कहा :----
"पढ़ सको तुम अगर मेरे दिल की ग़ज़ल,
दो घड़ी में तुम्हें प्यार हो जाएगा।"
हाथरस से पधारे नवगीत कार, ओज के कवि डा उपेंद्र झा ने भ्रूण हत्या पर व्यंग्य करते हुए एक तेजस्वी रचना प्रस्तुत की :---
" कहां खो गई है तू मां,"
अलीगढ़ के ही कवि प्रेम शर्मा ने अपनी ओजस्वी रचना प्रस्तुत करते हुए कहा :---
"अगर आपसी फूट ना होती राजनीति के दामन में,
तो कोई बाबर आकर कत्लेआम नहीं करता।"
अतरौली से पधारी शृंगार रस की कवयित्री डॉक्टर संगीता 'राज'ने अपने काव्य पाठ में कहा :---
"कोख में पले हैं दोनों, संग में बड़े हैं दोनों,
फिर भेदभाव क्यों है ? हमको बताइए।"
खैर से आए ओजस्वी कवि भुवनेश चौहान 'चिंतन' ने शृंगार रस का काव्य पाठ करते हुए कहा :-----
"रोज जीते हैं,रोज मरते हैं,
हम मुहब्बत से कहां डरते हैं।"
हाथरस से पधारे पूर्व सब इंस्पेक्टर पुलिस रोशन लाल वर्मा ने अपना काव्य पाठ करते हुए कहा :-----
'कंगना कर में जब खनक रहे,
और छनकत पायल पायन में
सिकंदराराऊ से पधारे ओज के प्रमुख कवि एवं गीतकार देवेश सिसोदिया ने अपना काव्य पाठ करते हुए कहा:---
"बुजुर्गों का अलब करने से कभी छोटे नहीं होते,
कमाई मां को देने से कभी
टोटे नहीं होते।"
कैरौला (हाथरस) से पधारे विख्यात कवि चांद हुसैन "चांद" ने अपने काव्य पाठ में कहा :--
"विविध रूप की नारि जग, एक ग्रुप चंडाल ,
इसके आगे नाचते भूत प्रेत बेताल।"
अलीगढ़ के शिक्षक एवं नवोदित गीतकार डॉ सुधांशु गोस्वामी ने अपने काव्य पाठ में कहा :---
आसमां पे भी तो लिखते हैं कहानी अपनी,
यार दीवानों में कुछ खास हुनर होता है।"
प्रसिद्ध गीतकार एवं कवि चच्चा उदयभानी ने सामाजिक समरसता पर अपना काव्य पाठ करते हुए कहा :----
" हम मुस्लिम हैं मगर पाकिस्तानी नहीं हैं।
पाक का कोई भी बंदा हमारा सानी नहीं है।।
टकराए हमसे आकर जो मैदान-ए-जंग में।
ए पाक!तेरे अंदर वह पानी नहीं है।।"
सासनी से पधारे प्रमुख शायर हनीफ संदली ने अपने काव्य पाठ में कहा :----
"कितने अजीब दुनिया के दस्तूर हो गए,
इंसानियत के घाव चकनाचूर हो गए।"
लोधा से पधारे युवा कवि जाहिद खान राहत ने अपने काव्य पाठ में कहा :----
" तूने सोचा है कभी ऊंचे मकान वाले,
तेरे कचरे से निवालों को उठाता है कोई।"
नगर के प्रमुख दोहाकार मनोज नागर ने अपने काव्य पाठ में कहा :-----
बंटे न मयखाने यहां, धर्मों के अनुसार ।
लेकिन मानवता हुई,टुकड़े यहां हजार ।।"
मथुरा के बाजना से पधारी वयोवृद्ध कवि रामेंद्र सिंह बृजवासी ने अपना काव्य पाठ करते हुए कहा :---
नदी पियेगी नीर, वृक्ष यदि फल खा जाएंगे ,
मात-पिता जब खुद ही अपना वंश मिटाएंगे।"
भारतीय स्टेट बैंक के सेवानिवृत्त अधिकारी श्री सुभाष सिंह तोमर 'विभोर'ने अपना काव्य पाठ करते हुए कहा :--
"तक धिन तक धिन जी चाहे जितना गिन ,
न ले जाए जग से,छोटी सी आलपिन।"
महानगर अलीगढ़ के प्रतिभा संपन्न कवि एवं एडवोकेट तेजवीर सिंह त्यागी ने अपना काव्य पाठ करते हुए कहा:---
"टूट कर शीशा जब बिखर जाएगा ,
उसको मालूम नहीं हुआ किधर जाएगा।"
नगर अलीगढ़ के ही कवि उमेश जैन ने नीरज जी को समर्पित करते हुए अपना काव्य पाठ किस प्रकार किया :------
" नहीं मोहताज नीरज है किसी भी नाम का यारो ,
जहां भी गीत हों उनके वहां पर सर झुका दो ।।"
सिकंदराराऊ के ही युवा एवं ओजस्वी कवि राणा मुनि प्रताप सिंह अपने काव्य पाठ में कहा :--
" कैसे होगा भला देश का शासन भूला अनुशासन,
फूहड़ता से भरी किताबों का होता है सघन प्रकाशन।"
काव्य गोष्ठी के संयोजक श्रीयुत् श्री ओम वार्ष्णेय ने अपना काव्य पाठ करते हुए कहा :---
"सुनता नहीं किसी की कोई बदले हुए जमाने में,
घर चूल्हे मिट्टी के हैं शर्म न लगे बताने में।"
कार्यक्रम का संचालन करते हुए कवि गाफिल स्वामी ने कहा :----
"मन वाणी और करम में अगर तनिक भी खोट,
प्रभू प्रकट दुख की दरद पड़े झेलनी चोट।"
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ कवि प्रेम शर्मा "प्रेम" ने अपने काव्य पाठ में कहा :----
"भारत को ही नहीं विश्व को, शांति एक वरदान है।
यह वह मूल मंत्र है जिस पर हम सब को अभिमान है।।"
इस प्रकार लगभग 5 घंटे चली काव्य सरिता में अनेक प्रबुद्ध श्रोताओं ने आवाहन किया जिनमें प्रोफ़ेसर चंद्रकुमार आंधीबाल, श्रीनिवास शर्मा शैलेंद्र कुमार शर्मा तथा अन्य अनेक प्रबुद्ध श्रोता उपस्थित थे। कवि संगोष्ठी की कुछ पावन स्मृतियां.....
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