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Monday 30 December 2019

84.पिता बिन सूना मायका ,माँ बिन सूनी प्रीत ।

बिन माँ बाप के कैसा जीवन ,
झूठी दुनिया की रीत।

जय श्री कृष्ण मित्रो ,
मेरी कविता साहित्यकारों की सुंदर पत्रिका साहित्यसुधा में ।

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