Followers

Sunday 24 January 2021

 174.

#ईश्वर के न्याय पर कभी संदेह नहीं करना चाहिए क्योंकि सब कुछ हमारे कर्मों का फल है, लेकिन मानवता को देखकर लगता है कि आज व्यक्ति कितना स्वार्थी हो गया है।ईश्वर में श्रद्धा कभी निष्फल नहीं जाती ।आप गीता पढ़िए जो किया है उसे भोगना जरूर पड़ेगा ।जब ईश्वर स्वयं इससे अछूते नहीं रहे तो हम तो इंसान हैं ।
वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़

 173.


दर्द ने पाला दर्द ने ही संभाला

दर्द ने मारा दर्द से ही दिल हारा
तोड़ तो देती है दुनिया ठोकरों से
मिलता यहाँ मुश्किलों से सहारा

 172.


 171.अजमेर से प्रकाशित आज 20 /10/20 के दैनिक आधुनिक राजस्थान में मेरी कविता...


 170.

#एक समय ऐसा भी होता है जब हम बहुत अच्छे होते हैं लेकिन एक समय के बाद हमारे अंदर सिर्फ बुराइयाँ ही नजर आती हैं। किसी का ताउम्र साथ देने का वास्ता देने वालों को जब वही व्यक्ति आँख का काटा बनकर चुभने लगता है तो लगता है जैसे हमें जीने का कोई अधिकार ही नहीं ।कहते हैं न अति हर चीज की बुरी होती है प्यार हो या नफरत हद से ज्यादा कोई पचा नहीं पाता ।दिल के सच्चे लोगों को ये दुनिया भी सच नजर आती है और वो सबको अपना मान लेता है ,लेकिन वही जब अधिकार समझ लिया जाता है तो सामने वाले व्यक्ति को बोझ लगने लगता है ।अरे ! ये तो मुझे अपनी जिंदगी चैन से नहीं जीने देता । कुछ ऐसा करो कि ये अपने आप चुप हो जाये ।किसी अपने की हद से ज्यादा केअर करना भी जब उसे समस्या लगने लगे तो क्या करना चाहिए ।कभी कभी हम सामने वाले व्यक्ति के हाथों में अपनी हँसी और खुश होने की जैसे बागडोर सौंप देते हैं लेकिन जब सामने वाला समझकर भी आपको हर्ट करता है तो जैसे जिंदगी एक बोझ लगने लगती है । हम जैसे लोग दुनिया में एक दो %ही होते हैं जो जिसको अपना मान लें उसके लिए पूर्ण समर्पित हो जाते हैं और जैसे खुद को आजीवन आँसूओं के समुद्र में डुबो देते हैं ।शायद ये बातें सभी को एक मजाक लगती हैं लेकिन मुझे लगता है यही इस दुनिया की वास्तविकता है कि आप जिसको जितना अपनी ओर खींचने की कोशिश करोगे वो आपसे उतना ही दूर हो जाएगा ।अलविदा एक छोटा सा शब्द है लिखने वालों के लिए लेकिन पढ़ने वालों के लिए जैसे एक बिजली का गिरना ।
संभल जा ओ नादान
समझ ले दुनिया की रीत को
किस्मत वाले होते हैं वो
जिन्हें बदले में मिलती है प्रीत भी
लुटा कर सर्वस्व भी जो
पल में ठुकरा दे दिल के संगीत को
क्या असर होगा उन पर
आँसूओं की खारी रीत से ।
वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़
May be an image of text that says "पिघल न जाये गर दिल ती कहनमा आँसूओं में मेरे संग संग चलना मिल जाये गर मुझ जैसा कोई और जो दिल चाहे सजा मुझे देना -Versha varshney Your uote.in"


 169

/ख्यालों में भी सिर्फ ख्याल है तुम्हारा /

कि मुद्दत हुई नहीं मिले खुद से ,
सिमट जाता एक पल में करार दिल का ,
कि आरजू में भी सिर्फ इंतजार है तुम्हारा //

एक मध्यम वर्गीय व्यक्ति न तो रो सकता है, न हॅंस सकता है । ये दुनिया किसी को नहीं जीने देती ,यदि व्यक्ति अच्छे से रहता है तो परेशानी यदि किसी से अपना दुखड़ा रोता है तो भी परेशानी ।अजीब दुनिया के अजीब ढंग । मेरी नजरों में वो व्यक्ति सबसे गरीब है जो दूसरों की भावनाएं नहीं समझ सकता और सबसे अमीर वो जो अभाव होते हुए भी ईश्वर में पूर्ण आस्था रखता है ।कोई व्यक्ति अपने जीवन में किन परिस्थितियों को सहन कर रहा है और अतीत में किया है उसके बाहरी आवरण को देखकर अंदाजा लगाना भी मुश्किल है ।कोई व्यक्ति बहुत सारे साधन होने के बाद भी गरीब ही नजर आता है और कोई दो जोड़ी कपड़ों में भी खुद को maintain रखता है ।शायद इसको बनावटी जीवन कहेंगे लेकिन यही बनावटीपन उसकी परिस्थितियों को ढकने में सहायक होता है ।
वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़

 168.।लखनऊ से प्रकाशित जय विजय मासिक पत्रिका के अक्टूबर अंक में मेरी लघु कथा ।


 167

.प्रेम से न किसी का वास्ता

पैसा ही सबसे बड़ा रिश्ता
हार जाता है सच्चा रिश्ता
अहम जिंदगी का फरिश्ता
माँ बाप की गलती की सजा
क्यों भुगतता ताउम्र बच्चा
यूँ तो कहने को भीड़ है बहुत
हर दिल ढूंढता सच्चा रिश्ता
आँसू भी जब लगने लगे बोझ
टूट जाता दिल का गुलिस्तां
मतलबी संसार ,दो पल ख़ुशी
ख्वाब और हकीकत जैसा रिश्ता
उम्मीदों के रोशनदान बंद हुए
बुनने लगा इंसान अपना सपना
बंद चौखट में सिसकियों का
जैसे सज रहा एक और रिश्ता ।
वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़
May be an image of 1 person
Kamla Kumar, Shobha Khare and 71 others
28 comments
1 share
Like
Comment
Share

 166.नई दिल्ली से प्रकाशित #वुमेन एक्सप्रेस में मेरी कविता ।

May be an image of 1 person and text that says "माँग तो भर दी वूमेनएक्सप्रेस तुमने मेरी गरमाई सियासत, नौकरशाही मेरी माँग अभी माँग पूरी दिया अपना मुझे करना तुमने शेष नाम अभी नाम दिलाना शेष है की दरकार हजारठीकभी पढ़ ली कृष्ण की लीला प्रेम राधा का तो गए बाँसुरी बाँसुरी का राग समझना समाहितहैमनमेंदरदकासागर पा आसान नफरत को को बाँटना तो अभी शेष सुखदुःख मन का बहकावा अभी शेष मन को समझाना पाप है सिर्फ दुःख की गठरी पुण्य का मर्म समझना शेष है संसार है एक नाटकशाला है नाटक को समझना शेष हम सब सिर्फ कठपुतली ईश्वर लीला समझना शेष है वर्षा वार्षणेय अलीगढ़"