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Saturday 23 January 2021

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.#हृदय की आकांक्षाओं

को इंतजार सिर्फ #तुम्हारा है
गीत हो प्रेम के या #विरह के फसाने
दिल में #दर्द सिर्फ तुम्हारा है ।
#मित्रता एक ऐसा संबंध है जो अनजान लोगों को भी आपका प्रिय बना देता है ,वो व्यक्ति जिन्हें आप जानते भी नहीं अचानक आपका #प्रिय बन जाता है ।हाँ #प्रेम का पर्यायवाची शब्द केवल मित्रता ही कहना उचित होगा क्योंकि दुनिया के सारे #रिश्ते तो आप स्वयं ही बनाते हैं लेकिन मित्रता तो प्रेम की #भूखी होती है और जहाँ अपनापन मिलता है वहाँ मित्र बनने में ज्यादा समय नहीं लगता ,लेकिन मित्रता भी दो तरह की होती है एक #निःस्वार्थ दूसरी #स्वार्थपरक ।कृष्ण और सुदामा की मित्रता लोगों के जेहन में आज भी #विद्यमान है ।लोग आज भी कृष्ण और सुदामा को मित्रता का पूरक मानते हैं क्योंकि वहाँ स्वार्थ नहीं सिर्फ प्रेम था ।मित्र वही है जो आपके सुख-दुःख में हमेशा समभाव रखे ।आपके दर्द का अहसास कर सके ।जहाँ बदले की #भावना आ जाती है वहाँ मित्रता ज्यादा दिन नहीं ठहर सकती ।सच्चा मित्र वही है जिससे हम अपनी आंतरिक #वेदना बाँट सकें ,अपने दिल की हर बात सहज रूप से कह सकें ।वो मित्र कोई भी हो सकता है माँ-पिता,बहन,भाई, पति-पत्नि, बेटी ,बेटा ,बहू ,दामाद ,पड़ोसी आदि ।मेरा मानना है #रिश्ते वही दूर तक चलते हैं जिनमें मित्रता का भाव पहले और रिश्ते नाते बाद में सोचे जाते हैं ।#ईश्वर की दया से मुझे बहुत बड़ा परिवार मिला है #फेसबुक के मित्रों के रूप में जिन्हें हम अक्सर #आभासी मित्र कहते और समझते हैं उनमें से काफी मित्र ऐसे भी होते हैं जिनसे व्यक्तिगत न मिलने के बाद भी हमें ऐसा लगता है जैसे हम उन्हें #सदियों से जानते हैं ,तो क्या ये प्रेम का पर्याय #मित्रता नहीं है?आइये नफरत को भुलाकर सारी दुनिया को प्रेम का संदेश दें और मिलकर कहें #मित्रता ही जीवन का #सार है बाकी सब तो दुनिया का #व्यवहार है //
वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़






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