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Saturday, 23 January 2021

 137.

#सर्वस्व समर्पित करके भी न बन पाई,
किसी की आँख का तारा #स्त्री कभी /
पिता का घर तेरा नहीं #पति का घर तेरा है,
दो घरों के #द्वंद मे सदियों से छलती आयी/

आसान कहाँ होता है
अपने सपनों की डोर
को हाथ से फिसलते
हुए देखना
ताउम्र उस आग में जलना
जो उसके लिए थी ही नहीं
आसान कहाँ होता है
इस धरा पर एक औरत का
जन्म लेना और खुशी पाना ।
वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़

जय श्री राधे 💐💐
कृष्ण की #शक्ति प्रेम की जननी
#विलय कर लो खुद में मुझे
बस यही है #मेरी अंतिम अर्जी ।

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