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Saturday 23 January 2021

 127.जय श्री कृष्ण मित्रो आपका दिन शुभ हो ।मेरी कविता जयविजय (लखनऊ) मासिक पत्रिका के अगस्त अंक में ।

May be an image of 1 person and text that says "PDF 20 8.pdf 2020 Sign in कविता कुंज कब रुकता है किसी जीवन में पतझड़ का चलन जोर पर है अब तो प्रेम कब अधिकार है किसी का नफरत का चलन चहुँ ओर है अब तो शब्दों से खेलते तो मुनासिब था हृदय की तरंगों से खेलना ही खेल है अब तो दिल में प्रेम मनोरम तांडव भावनाओं से खेलना ही प्रेम है अब तो वक्त समझा रहा है उम्र का तकाजा हकीकत समझना ही शेष है अब तो प्रेम प्रीत मोहब्बत शब्द किताबों के बदलाव हर जगह दौर है अब तो वर्षा वाष्णेय"

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