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Saturday 23 January 2021

 116.जय श्री कृष्ण मित्रो ,आपका दिन शुभ हो ।मेरठ के सुप्रसिद्ध दैनिक समाचार पत्र में मेरी रचना (22/7/20)हार्दिक आभार संपादक मंडल ।

May be an image of Versha Varshney and text that says "विजय दर्पण टाइम्स रहा ज्यूँ के के से, बिलख रही थी! आसमानी शक्ति तोड़ डाले बंधन सारे, थी| यूँ प्रजा ईश्वर की कर की थी को ललकार रही थी! रचनाकार वर्षो वारष्णेय अलीगढ़ लिखती हैं एक रचना कोरोना और प्रकृति के कहर को संदर्भ बनाकर कोरोना प्रकृति का अमिशाप से भी रही थी थी से आँसूं बहा व्यर्थ गए अस्त्र शस्त्र बंदूक भी शांत थी, झोंके जैसे प्रलय रही थी! पाप के जा अवसाद के ईश्वरीय वंदे को दुनिया भुगत रही है| रुलाकर औरों को सुख कटु दुनिया व्यर्थ है रही है!!"
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