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Saturday 23 January 2021

 105.kavita

मेरी कविता कर्मकसौटी न्यूज़ पर! https://kasautikarm.wixsite.com/.../single-post/2020/07/03
जिंदगी बड़ी चालबाज है
सब कुछ छीनकर भी
सिर्फ एक सुकून नहीं देती ।
गीत गाते हैं जो प्रेम के
रह जाते हैं अक्सर अकेले
ऊँगली थामकर जीने नहीं देती
मय्यसर कहाँ होती हैं
मंजिलों की खुमारी सबको
भीड़ में बजूद बनाने नहीं देती ।
रौनक ऐ महफ़िल को गौर से देखो
तन्हा सुर बजते तो हैं
प्रेम की तपिश सजने नहीं देती ।
उम्मीदों के मोर पंख सजाकर
ताउम्र चलते रहते हैं स्वप्न
किस्मत हकीक़त बनने नहीं देती
वर्षा वार्ष्णेय
अलीगढ़ (उत्तर प्रदेश)
जिंदगी बड़ी चालबाज है...

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