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Saturday 23 January 2021

 113.जय श्री कृष्ण मित्रो आपका दिन शुभ हो । लखनऊ से प्रकाशित जयविजय मासिक पत्रिका के जुलाई अंक में प्रकाशित मेरी रचना

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May be an image of 1 person and text that says "ओ कान्हा ओ कान्हा धुन तेरी थिरकना हर पल दिल को क्यों भाता है मैं हूँ तेरी तू है मेरा क्यों गीत यही दिल गाता है ओ कान्हा ओ कान्हा मुस्कान मधुर तेरे कपोलों पर देखकर दिल बरबस रुक जाता है तू है मेरा मैं हूँ तेरी वृन्दावन में मन रम जाता है ओ कान्हा ओ कान्हा छेड़ दो अपनी मधुर मुरलिया दिल को बस यही भाता है मैं हूँ धड़कन तू है साँसें पल पल दिल भर आता है वर्षा वार्ष्णेय"

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