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Saturday 23 January 2021

 164,#दुःखद

आदिकाल से औरत को दबाना ही सीखा है ,फिर वो चाहे कोई भी रूप हो ।उसी का नतीजा आज बेटियों की त्रासदी के रूप में जब तब निकलता रहता है और हम सभी अपनी जिम्मेदारियों से मुँह मोड़कर सारा इल्जाम समाज पर थोप देते हैं ।आखिर समाज बना भी किससे है हमसे और आप सभी से मिलकर फिर इल्जाम दूसरों पर क्यों ?
वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़

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