164,#दुःखद
आदिकाल से औरत को दबाना ही सीखा है ,फिर वो चाहे कोई भी रूप हो ।उसी का नतीजा आज बेटियों की त्रासदी के रूप में जब तब निकलता रहता है और हम सभी अपनी जिम्मेदारियों से मुँह मोड़कर सारा इल्जाम समाज पर थोप देते हैं ।आखिर समाज बना भी किससे है हमसे और आप सभी से मिलकर फिर इल्जाम दूसरों पर क्यों ?
No comments:
Post a Comment