118.ॐ नमः शिवाय
आप सबके लिए नाग पंचमी शुभ होगी ,मेरी जिंदगी का कटु सत्य तो एक नागिन ही निकली ।अथाह दर्द ,पीड़ा और आँसुओं का समंदर तो उसी ने दिया जिसको अपने हाथों से दूध पिलाया ।साँप की तो आदत ही होती है दूध पीकर भी जहर उगलने की /किस्मत के खेल भी कितने अजीब होते हैं कि हम स्वयं अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार लेते हैं ,लेकिन कभी कभी सोचती हूँ जो हुआ उसमें भी अच्छाई छिपी थी वरना सारी जिंदगी .....आखिर नाग देवता भी तो मेरे आराध्य शिवजी के प्रिय हैं ,उन्होंने मेरे लिए अच्छा ही सोचा होगा । आप सब को नाग पंचमी मुबारक हो ।
वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़
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