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उन्मुक्त हँसी परिचायक है
धीरता की ,गंभीरता की
छलावा नहीं ये दिल का
आतिश है ये चिंगारी की ....
प्रेम वो नहीं; आये, खाना खाया और सो गए ।प्रेम तो वो है जो अपनी कहे और दूसरे की सुने ।प्रेम वो है जो दूसरे इंसान की आँखों में आँसू ही न आने दे ।प्रेम आजकल की आधुनिक वस्तुएँ नहीं माँगता ,बल्कि सामने वाले से वो वक़्त माँगता है जिसमें एक दूसरे की भावनाओं को समझने का वक़्त मिल सके । विवाह एक पवित्र बंधन है और विवाह करने वाले अलग परिवेश में पले बड़े दो ऐसे इंसान जिन्हें प्रेम के अलावा दुनिया की कोई भी चीज नहीं बाँध ही नहीं सकती।विवाह किसी समझौते का नाम कैसे हो सकता है । हर लड़की लड़के के मन में अपने जीवन साथी को लेकर बहुत सारे सपने होते हैं लेकिन विवाह होते ही वो सपने टूटने लगते हैं आखिर ऐसा क्यों, कोई तो कारण रहता होगा ? हाँ वो प्रेम की कमी ही तो है जो उन दोनों की आपसी दूरी को तय ही नहीं कर पाता और .........
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