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Monday 30 December 2019

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जय श्री कृष्ण मित्रो ,आप सभी को दीवाली की हार्दिक शुभकामनाएं ।
मेरी रचना बदायूँ एक्सप्रेस पर ,

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प्रेम दुर्लभ नहीं प्रेम तो तपस्या है ।आप लिखिए और प्रेम में खो जाइये । प्रेम राधा है प्रेम कृष्ण है ,प्रेम ही तो सम्पूर्ण विश्व है ।प्रेम न हो तो दुनिया एक अंगार के समान होगी ।प्रेम से हम हैं ,प्रेम ही हमारी पहचान है ।जलते हुए दिलों का मरहम है ,रोते हुए आँसूओं का विश्राम है ।प्रेम है तो इंसान है, प्रेम के बिना सृष्टि ही सुनसान है ।कौन कहता है प्रेम दुख देता है ,प्रेम तो सबको जीवन देता है ।हमारी इच्छाएँ ही दुख का कारण है वरना प्रेम तो विधाता की पहचान है ।प्रेम नश्वर है ,प्रेम पावन है ।प्रेम को न कोई बंधन बाँध पाया है , न ही प्रेम को कोई जान पाया है ।प्रेम वो पुष्प है जो रोते हुए को भी हँसा दे,प्रेम वो पत्र है जो सोते हुए को जगा दे । प्रेम की न कोई परिभाषा है न प्रेम का कोई अंत ।प्रेम तो बस प्रेम है , सच्चा प्रेम सिर्फ सामने वाले से हमदर्दी की उम्मीद रखता है बाकी तो दुनिया में सब कुछ मिल जाता है लेकिन किसी का प्रेम पाकर जो अंदरूनी खुशी होती है वो शब्दों में बयान करना असंभव होता है ।प्रेम कभी रुलाता नहीं बस प्रेम करता है ।प्रेम गोपियाँ हैं तो प्रेम ही राधा कुंड है ।प्रेम निशुल्क है न इसमें धन खर्च होता न ही ताकत ,शायद इसीलिए आज की दुनिया में ये सिर्फ हँसी का पात्र है ।निशुल्क चीजों की इस स्वार्थी दुनिया में शायद कोई जगह नहीं ,लेकिन जिसने प्रेम को समझ लिया वो इस दुनिया का सबसे धनवान व्यक्ति होगा ।
वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़


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