Followers

Monday, 30 December 2019

101.मेरे कवि मित्र का एक प्रश्न ,

#क्या आज की कविता पैसे वालों की मोहताज है ?
लेकिन मेरा जवाब #
कविता पैसे वालों पर तो आ ही नही सकती , हाँ इतना जरूर है कि कविता के जरिये लोग मालामाल हो रहे हैं ।चापलूसों की तो जैसे मौज आ गयी है । अगर आपको आगे आना है तो चापलूसी के गुण सीखने ही पड़ेंगे ,एक गॉड फादर भी ढूंढना पड़ेगा तभी झूठी वाहवाही मिल पाएगी ,लेकिन क्या अपने आत्म सम्मान को गिरवीं रखने की आपमें हिम्मत है ?यदि हाँ तो आप आज की दुनिया में जीने लाइक हैं वरना तो भगवान ही मालिक है ☺️☺️
#फिर तो आप सिर्फ लिखते रहिये और माँ शारदा की सेवा करते रहिए यही सच्ची पूजा है साहित्य की ।#
वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़

No comments:

Post a Comment