Followers

Thursday 26 December 2019

58 .जय श्री कृष्ण मित्रो ,आजकल मन और शरीर दोनों ही अशांत हैं जिससे लेखन और दिनचर्या पर बहुत असर पड़ा है ।टाइफाइड और लिवर पेन ने बहुत थका दिया है ।बस यूँ ही कुछ पुरानी यादें देखीं और पोस्ट कर दिया ।कभी कभी हमारे जीवन की सच्चाई हमसे बहुत कुछ छीन लेती है ।हमारे जीवन में वो सब होता है जिसकी कल्पना मात्र से हम डर जाते हैं ।अपने डर को दूर करने के लिए हम अपने आसपास एक काल्पनिक दुनिया तैयार कर लेते हैं और जब हकीकत सामने होती है तो सब कुछ फिर से बिखरा बिखरा नजर आता है ।यही जीवन है और यही जीवन की सच्चाई ।

#आशा और निराशा के दौर में

यूँ सिमट रही आज की सच्चाई
कभी लगता जीवन सपनों का संसार ,
तो कभी सच की कड़वी परछाई।#
वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़

No comments:

Post a Comment