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Monday 30 December 2019

138,चलते रहना ही है जिंदगी तेरी

जो रुक गया तो मौत है तेरी ।
जिंदगी है कभी घनी धूप
तो कभी आएगी तेरी बारी भी ।

वक़्त इंसान की स्वाभाविक प्रकृति को तो बदल सकता है लेकिन उसके भाग्य को बदलना वक्त के भी बस में नहीं ।

ये कैसा समाज है जो आज भी सिर्फ और सिर्फऔरत को ही प्रताड़ित करता है,जितने ऊँचे घर उतनी ही बंदिशें ......

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