88.दर्द की ताबीर बन गयी जाने क्यों जिंदगी ,
खुशियों ने ही ओढ़ लिया दर्द का भँवर
जय श्री कृष्ण मित्रो ... #हक़ीक़त ये भी है कि आज बच्चों के माता पिता बने रहने की बजाय उनके मित्र बनने की कोशिश करें ।अपनी मनमर्जी थोपने की बजाय उनकी खुशियों पर भी ध्यान दें तभी समाज को विकृति से बचाया जा सकता है ।बच्चों के साथ बैठना ,उन्हें सही संस्कार देना और घरों में प्यार का माहौल बनाये रखना ही समाज को सही दिशा देना है । पैसा कमाने की दौड़ ने इंसान को एक मशीन बना दिया है ।आज हर दूसरा बच्चा पढ़ने के लिए बाहर जाना चाहता है ,क्योंकि एक दूसरे की होड़ ने और आजाद रहने की प्रवृत्ति ने बच्चों को माँ बाप से दूर कर दिया है । ऐसा क्यों ?
क्या कभी किसी ने इसके बारे में गहराई से सोचा है ?नहीं क्योंकि किसी के पास वक़्त ही नहीं । प्यार और माँ बाप की अनदेखी बच्चों को एक अनजानी रंगीन दुनिया मे ले जाती है जहाँ सिर्फ सपने ही सपने होते हैं । बचपन से अकेलापन , बच्चों पर अनावश्यक बोझ ,माँ बाप की अधूरी इच्छाएँ बच्चों को उस मोड़ पर ले जाती हैं जहाँ उनके साथ साथ खुद को भी नीचा देखने की नौबत आ जाती है ।
सोचिये विचारिये तभी दूसरों पर उँगली उठाइये,बच्चों को ही नहीं आजकल माँ बाप को भी समझने की जरूरत है ।
No comments:
Post a Comment