128.हमारे समाज में आये दिन बलात्कार जैसे जघन्य वारदातों को देखकर लगता है कि सरकार को स्कूलों में नैतिक शिक्षा को फिर से जारी करना चाहिए ।हमारे समय में स्कूलों में नैतिक शिक्षा एक अनिवार्य पाठ्यक्रम होता था लेकिन समय के साथ न जाने क्यों काफी जगह इसे बंद कर दिया गया ।हमारे संस्कार और नैतिक ज्ञान को देने वाले माध्यम लगभग शून्य हो चुके हैं ।अभी कुछ दिनों पहले मैं अपने बेटे के साथ मंगलायतन मन्दिर गयी जहाँ मंदिर की दीवारों पर हज़ारों श्लोक और नीति वचन लिखे हुए थे ।उनको पढ़कर सहसा अपने मंदिरों का ध्यान आया । काश हमारे भी सहस्त्रों मन्दिरों की दीवारों पर भी कुछ नीति वचन, उपदेश और चित्र हों तो वहाँ जाने वाले बच्चों के कोमल मन पर उसका असर गहराई तक हो । आज समाज को व्यवहारिक ज्ञान की परम आवश्यकता है । हमारे ग्रंथों और पुराणों में नरक और स्वर्ग की जो व्याख्या की गई है वो इंसानों को सही रास्ते पर ले जाने के लिए ही रची गई ,लेकिन आज वो सिर्फ ग्रन्थों में दबकर रह चुकी है ।मंदिरों और सार्वजनिक स्थानों पर आज इन्हें चित्रित की जाने की अत्यधिक आवश्यकता है । यदि हमें अपने बच्चों को सही शिक्षा देनी है तो इस ओर ध्यान देना ही होगा वरना आज की कारुणिक सच्चाई किसी से छिपी नहीं है ।
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