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Saturday 19 November 2016

वजूद

११५.
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भुलाकर खुद का वजूद ,जब भी तुझे भुलाना चाहा ,

तकदीर का फ़साना कहूँ या...... इश्क की ताबीर ,
अश्कों............... में भी तेरा ही अक्स नजर आया !!


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