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Wednesday, 4 December 2019

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कौन बांध पाया है समुद्र के प्रवाह को ,

कौन रोक पाया है सूरज के प्रकाश को ।
अटल है आज भी सुनो कर्म की प्रवंचना ,
अटल है जिंदगी और मौत की अवधारणा।
वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़

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