११७.बेटी
विदा हुई जब बेटी अपनी आँखों में आंसूं आ गए ,लाये थे बनाकर जिसे बहू आँखों में आंसूं भर दिए ।
क्यों बदल गयी वो रीत पुरानी बेटी की शादी पर ,
बहू के अरमानों के जिसने टुकड़े टुकड़े कर दिए ।
बेटी के माँ बाप होना ही गुनाह अनौखा हो गया ,
टुकड़ा दिल का ही चंद मिनटों में पराया हो गया ।
किसने बनायी ये रीत पुरानी ,जहाँ बेटी परायी होती है ,
देखकर समाज के खोखले रिवाज दिल अपना टूट गया ।
कब बदलेगा समाज हमारा कब ???????????????
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