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Thursday 1 June 2017

                                                ८८.दर्द 

जय श्री कृष्णा 

बहुत हुआ सब ,
अब और नहीं ।
जिंदगी दर्द है 
तो दर्द ही सही ।
क्यों करें किसी 
और से उम्मीद ,
दामन में हमारे 
कांटे है गर 
तो वो भी सही ।
मित्रता का लेकर,
बहाना चल दिये,
पथ पर अगर ।
दुश्मनी मिली ,
तो वो भी सही ।
नहीं समझ पाते 
अपने भी मजबूरी,
तुम भी न समझो 
कोई गम नहीं ।
वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़

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