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Friday 6 October 2017

                                  १५४,विजयादशमी 

जब तक अपने कुत्सित विचारों पर अंकुश नहीं लगा पाएंगे विजयादशमी का अर्थ कैसे समझ पाएंगे ।


मोहहबत है खुदा मेरा ,भजन है इंसानियत ।
देखकर दूसरों का दुख आंसूं न आये आंखों में ,
कैसा है वो दीन धर्म ।
(शेरो शायरी जरिया है ग़मों को बांटने का , 
इबादत में खुदा की जन्नत की गुजारिश क्यों ?)

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