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Wednesday, 4 December 2019

                       136 ,औरत 

हमारे समाज में सदियों से जो चल रहा है क्या वो किसी से छिपा हुआ है ?आज जब उसी को सुप्रीम कोर्ट ने सबके सामने लाकर औरतों को भी समान अधिकार देने की बात की तो वही पुरूष प्रधान समाज तिलमिला उठा ।प्राचीन काल से अब तक महिलाओं के साथ क्या हुआ है और आज भी क्या हो रहा है किसी से छिपा नहीं ,लेकिन आज समानता के नाम पर इतना शोर क्यों ?एक औरत रोती रहे तो अच्छी लगती है ।एक औरत मानसिक प्रताड़ना सहती रहे और खुदकुशी कर ले तो कायर ,यदि वो अपने लिए कहीं से थोड़ी सी भी खुशी चाहे तो वो गलत । औरत और पुरुष एक ही गाड़ी के दो पहिये तो फिर एक बड़ा और दूसरा छोटा कैसे ? पुरुष घर में एक दिन भी नही रुक सकता ,वहीं औरतों के लिए आज भी सिर्फ घर की चौखट ही सर्वोपरि है । कहने के लिए औरत आधी आबादी लेकिन हक़ीक़त में उसका आज भी कोई स्थान नहीं ।

वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़

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