
versha varshney {यही है जिंदगी } जय श्री कृष्णा मित्रो, यही है जिंदगी में मैंने मेरे और आपके कुछ मनोभावों का चित्रण करने की छोटी सी कोशिश की है ! हमारी जिंदगी में दिन प्रतिदिन कुछ ऐसा घटित होता है जिससे हम विचलित हो जाते हैं और उस अद्रश्य शक्ति को पुकारने लगते हैं ! हमारे और आपके दिल की आवाज ही परमात्मा की आवाज है ,जो हमें सबसे प्रेम करना सिखाती है ! Bec Love iS life and Life is God .
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Monday, 8 May 2017
Saturday, 6 May 2017
७९ .आरक्षण
मित्रो gud evng जय श्री कृष्णा ,
हमारे देश में शिक्षित बेरोजगारों की कमी नहीं ।क्यों ?बजह साफ़ है हर क्षेत्र में आरक्षण का होना ।यदि किसी विभाग में 100 सीट हैं तो उन सबमें भी आरक्षण पहले से तय है ।क्या ये युवाओं के साथ अन्याय नहीं है ।आरक्षण की बजह से एक अच्छी %वाला रह जाता है जबकि कम %वाला उस सर्विस को प्राप्त कर लेता है ।क्या आरक्षण जातिगत होना सही है या आर्थिक आधार पर क्योंकि यदि जाति के आधार पर होता है तो एक पैसे वाला और पैसे वाला होता जाता है और आर्थिक आधार पर तो एक सही व्यक्ति उस नौकरी का हक़दार होगा ।तो आपकी नजरों में जातिगत आरक्षण एक कुरीति है या आर्थिक आधार अच्छा है ।कृपया अपनी राय अवश्य दें ।
७८ ,आरक्षण
मित्रो ,आज आरक्षण हमारे देश में एक अभिशाप बन गया है !आरक्षण जैसे बेटा सबको चाहिए ,पर मेहनत जैसे बेटी किसी को नहीं ,लेकिन क्यों ?
आरक्षण = बेटा
मेहनत= बेटी
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mitro
aaj aarakshan hamare desh me aik abhishap ban gaya h .aarakshan jaise beta sabko chaiye par mehnat jaise beti kisi ko nahi .
Aarakshan = beta
mehanat =beti
aaj aarakshan hamare desh me aik abhishap ban gaya h .aarakshan jaise beta sabko chaiye par mehnat jaise beti kisi ko nahi .
Aarakshan = beta
mehanat =beti
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७७ .बेरोजगारी
गजब की नौकरी है अपने हिन्दुस्तान में ,
शिक्षा की लौ जलती नहीं सपनो के गांव में
बिजली के खम्बे है पर बिजली नहीं है गांव में
गर्दन पर है धार लगी अफसरों के राज में
शिक्षा मित्र दे रहे न जाने क्यों अपनी जान यूँ
जैसे मिलती हो जान राशन की दूकान पर सस्ते में इनाम में
औरतों की इज्जत नहीं आज भी उसके so called घरों में
गरम चिमटा दाग रहे आज भी बेटी होने के पाप में
लोक अदालत सफल नहीं क्यों आज भी हमारे शहरों में
हुआ प्रशासन भी लाचार आज नेताओं के राज में
कहने को तो हीरो बन गया हमारा हिन्दुतान विश्व में
फिर भी क्यों लाचार है जनता अपने ही दरबार में
मंजूरी मिले न मिले पर धरना होता हर राह में
सड़कें हो जाती हैं जाम झूठी इज्जत की शान में
स्कूलों में बंट रहा नाश्ता सिर्फ किताबी बातों में
पेट भर रहे है खुद ही अपना "वर्षा"
शिक्षा की लौ जलती नहीं सपनो के गांव में
बिजली के खम्बे है पर बिजली नहीं है गांव में
गर्दन पर है धार लगी अफसरों के राज में
शिक्षा मित्र दे रहे न जाने क्यों अपनी जान यूँ
जैसे मिलती हो जान राशन की दूकान पर सस्ते में इनाम में
औरतों की इज्जत नहीं आज भी उसके so called घरों में
गरम चिमटा दाग रहे आज भी बेटी होने के पाप में
लोक अदालत सफल नहीं क्यों आज भी हमारे शहरों में
हुआ प्रशासन भी लाचार आज नेताओं के राज में
कहने को तो हीरो बन गया हमारा हिन्दुतान विश्व में
फिर भी क्यों लाचार है जनता अपने ही दरबार में
मंजूरी मिले न मिले पर धरना होता हर राह में
सड़कें हो जाती हैं जाम झूठी इज्जत की शान में
स्कूलों में बंट रहा नाश्ता सिर्फ किताबी बातों में
पेट भर रहे है खुद ही अपना "वर्षा"
सारे हुक्मरान सरकार की ठंडी छाँव में
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