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Saturday 6 May 2017

                            ७७ .बेरोजगारी 

गजब की नौकरी है अपने हिन्दुस्तान में ,
शिक्षा की लौ जलती नहीं सपनो के गांव में 
बिजली के खम्बे है पर बिजली नहीं है गांव में 
गर्दन पर है धार लगी अफसरों के राज में 
शिक्षा मित्र दे रहे न जाने क्यों अपनी जान यूँ 
जैसे मिलती हो जान राशन की दूकान पर सस्ते में इनाम में 
औरतों की इज्जत नहीं आज भी उसके so called घरों में 
गरम चिमटा दाग रहे आज भी बेटी होने के पाप में
लोक अदालत सफल नहीं क्यों आज भी हमारे शहरों में 

हुआ प्रशासन भी लाचार आज नेताओं के राज में
कहने को तो हीरो बन गया हमारा हिन्दुतान विश्व में
फिर भी क्यों लाचार है जनता अपने ही दरबार में
मंजूरी मिले न मिले पर धरना होता हर राह में
सड़कें हो जाती हैं जाम झूठी इज्जत की शान में
स्कूलों में बंट रहा नाश्ता सिर्फ किताबी बातों में
पेट भर रहे है खुद ही अपना "वर्षा"
 सारे हुक्मरान सरकार की ठंडी छाँव में 

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