७२,डर
डर ****
किसी को खोने का डर ,किसी के डांटने का डर ,किसी के गुस्सा हो जाने का डर ,बचपन को जिसने दबा दिया उस व्यक्ति का डर ,जिंदगी को नरक बना देता है । कोई नहीं समझ सकता अनाथ बच्चों का दर्द ,जिसने कभी उस डर को महसूस ही नहीं किया वो कैसे समझ पायेगा उस दर्द को ,बैचैनी को ।जो दूसरों के दर्द को समझ पाए ,दुनिया में ऐसे लोग विरले ही होते हैं ।
माँ का साया ही बच्चे को निडर बनाता है बाकी तो दुनिया हर कदम पर डराती है । जाने क्यों और किस पाप की सजा मिली थी उसे जिसने उसकी स्वाभाविकता को कभी का छीन लिया था । जब भी वो कदम बढ़ाती वो आकर उसे डरा देती । देखा है जीवन में उसको खुद से लड़ते हुए ,अपने अकेलेपन से बातें करते हुए । अनाथ थी वो ,दुनिया के रहमोकरम पर पलते पलते कब बड़ी हो गयी ,पता ही नहीं लगा । आज भी हर छोटी बात पर जैसे सहम जाती है ।आप यदि किसी बच्चे को गोद लेते हैं या पालते हैं तो कृपया उसके दिल मे इतना डर न पनपने दें कि वो अपनी जिंदगी को जीना ही भूल जाये ।आज किसी अनाथ बच्चे को गोद लेना जैसे समाज में अपना रुतबा बढ़ाना है ।क्या आप उसे माँ बाप का प्यार दे सकते है ?क्या उसे एक सहज जिंदगी दे सकते है ?यदि हां तभी अपने कदम आगे बढ़ाएं वरना इसके लिए अनाथाश्रम ही बहुत हैं ।
जिंदगी को जिंदगी ही रहने दें ,
मजाक न बनाएं ।
टूट न जाए कही किसी का दिल
तोड़कर कांच को धार न बनाएं ।
किसी को खोने का डर ,किसी के डांटने का डर ,किसी के गुस्सा हो जाने का डर ,बचपन को जिसने दबा दिया उस व्यक्ति का डर ,जिंदगी को नरक बना देता है । कोई नहीं समझ सकता अनाथ बच्चों का दर्द ,जिसने कभी उस डर को महसूस ही नहीं किया वो कैसे समझ पायेगा उस दर्द को ,बैचैनी को ।जो दूसरों के दर्द को समझ पाए ,दुनिया में ऐसे लोग विरले ही होते हैं ।
माँ का साया ही बच्चे को निडर बनाता है बाकी तो दुनिया हर कदम पर डराती है । जाने क्यों और किस पाप की सजा मिली थी उसे जिसने उसकी स्वाभाविकता को कभी का छीन लिया था । जब भी वो कदम बढ़ाती वो आकर उसे डरा देती । देखा है जीवन में उसको खुद से लड़ते हुए ,अपने अकेलेपन से बातें करते हुए । अनाथ थी वो ,दुनिया के रहमोकरम पर पलते पलते कब बड़ी हो गयी ,पता ही नहीं लगा । आज भी हर छोटी बात पर जैसे सहम जाती है ।आप यदि किसी बच्चे को गोद लेते हैं या पालते हैं तो कृपया उसके दिल मे इतना डर न पनपने दें कि वो अपनी जिंदगी को जीना ही भूल जाये ।आज किसी अनाथ बच्चे को गोद लेना जैसे समाज में अपना रुतबा बढ़ाना है ।क्या आप उसे माँ बाप का प्यार दे सकते है ?क्या उसे एक सहज जिंदगी दे सकते है ?यदि हां तभी अपने कदम आगे बढ़ाएं वरना इसके लिए अनाथाश्रम ही बहुत हैं ।
जिंदगी को जिंदगी ही रहने दें ,
मजाक न बनाएं ।
टूट न जाए कही किसी का दिल
तोड़कर कांच को धार न बनाएं ।
Bahut khoob
ReplyDelete