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Thursday 25 August 2016

                                                 ७१.आंसू


बिखर गए मेरी पलकों पर जब भी मेरे आंसूं ,

न जाने क्यों तुम बहुत याद आये !

कब मिला है किसी को खोया हुआ साहिल ,

न जाने क्यों ये आंसूं निकल आये !

बेबफा क्यों नहीं हो जाती ये यादें ऐ तन्हाई ,

दबे हुए जख्म फिर से क्यों उभर आये !

जब भी घिर आती हैं ये काली घटाएं बनकर
 
यादों के मंजर तुम बहुत याद आये ।।

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