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Sunday 2 October 2016

                                        ९६.कविता 

आज की कविता देशप्रेमियों के लिए" जग प्रेरणा" रायपुर में ,
जय हिंद ,जयभारत

मुन्नी और शीला के दौर में कौन रिश्ते निभायेगा ,
मर गयी जिनकी आत्मा वो कैसे प्यार निभायेगा ।
जन जागरण का समय है आया देखो मत सोओ तुम, 
बातों को खेल में टाल जाना तुम्हें बहुत रुलायेगा ।
बातें करने से नहीं किसी का नसीब जागा है,
कर्म पथ पर चलकर ही देश तुष्टि पायेगा ।
बीहड़ों में कब तक दहाड़ते रहोगे तुम ,
ओ मेरे देश प्रेमियों निडरता से ही देश का गौरब बच पायेगा ।
स्वार्थ में अपने लिप्त है जब समूची दुनिया ,
त्यागकर सुख भोग सारे कौन जंगल जाएगा।
बिल्ली आई चूहा भाग खेल पुराना है ,
ऐ मेरे देशबासियो अब नया ज़माना आएगा।
बिल्ली बैठी बिलों के अंदर सर्प चूहा खायेगा,
ढोल बजाता बंदर आज ,गीत भेड़िया गायेगा ।
मत फैलाओ बैर भाव आपस में ,बैर तुम्हें ही सतायेगा ,
वीरों की जन्मभूमि से दुश्मन कैसे ज़िंदा बच पायेगा ।
वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़

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