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Sunday 2 October 2016

                                 ९८.महक 

महक फूलों की हो या फिर इंसान की ,
खिलने तक ही सुहानी लगाती है ।

कौन पूछता है मुरझाये हुए चेहरों को ,
जिंदगी सबको हंसती हुई अच्छी लगती है ।।

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