१२७ लेख
क्यों हम किसी व्यक्ति पर इतना निर्भर हो जाते हैं कि उसके बिना कुछ भी अच्छा नही लगता ?जिंदगी अचानक रुकी हुई लगने लगती है ।संसार मे हर व्यक्ति अपनी हजारों समस्याओं से घिरा हुआ है ,जरूरी तो नही कि जब आप चाहे सामने वाला व्यक्ति आपके लिए हाजिर हो ।मानव स्वभाव हर व्यक्ति को अपना जैसा समझने पर मजबूर है । घर ,परिवार ,समाज सभी की कुछ न कुछ चाहत होती हैं।क्या एक व्यक्ति एक समय मे सभी की इच्छाओं की पूर्ति कर सकता है ?इंसान इंसान है ,भगवान तो नहीं ।फिर किसी व्यक्ति से इतनी अपेक्षाएं क्यों ??????
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