१२६,,गेरुआ
लिबास पहनकर गेरुआ बैठ संतों के संग !
मान लिया ढोंगियों ने खुद को प्रभु का अंग ।!
मान लिया ढोंगियों ने खुद को प्रभु का अंग ।!
न जाने किसकी तलाश है ,
हर दिन जिंदगी लगती ख़ास है !!
आजाद देश के परिंदे रहते आज उदास हैं ,
महफ़िल में आज भी कहकहों के तख्तो ताज हैं !!
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