११२,पुनर्जन्म
जय श्री कृष्णा मित्रो ,
क्या वास्तव में पुनर्जन्म होता है ? इस तथ्य को लेकर सदियों से एक अवधारणा चली आ रही है ! एक ही परिवार में जन्म लेने वालों का जरूर आपस में पिछला नाता होता है ,तभी तो सभी परेशान आत्मा और सुखी आत्मा एक ही जगह जन्म लेती हैं ! अक्सर देखने में आता है कि यदि एक परिवार में माँ का भाग्य ख़राब है तो बेटी को वही सब कुछ मिलता है ! आप लाख कोशिश करके भी उसका भाग्य नहीं बदल पाते ! हम जो सोचते हैं वो कब होता है .वही होता है जो हमारे नसीब में लिखा होता है ! प्रत्येक माँ बाप सोचते हैं कि हम अपने बच्चों को खुद से ज्यादा शिक्षित करेंगे ,हमने जो जीवन गुजारा है ऐसा अपने बच्चों के साथ नहीं होने देंगे ,लेकिन क्या ऐसा संभव होता है ? नहीं ,लेकिन क्यूँ ? क्यूकी हमारा उनसे पिछला नाता है और हम सभी ने मिलकर कुछ ऐसा किया जिससे सभी परेशां हैं !अक्सर जिंदगी हमें कुछ अनजान लोगों से मिलाती है ,लगता है ये हमारी समस्या को हल करने आये हैं !न कोई रिश्तेदारी ,न कोई खून का रिश्ता ,फिर ऐसा कैसे होता है ? यही तो पिछला नाता है ,जो हमें किसी न किसी मोड़ पर मिल ही जाता है ! लोगों को कहते सुना है जरूर हमारा पिछले जन्म में कोई रिश्ता था ,जो आज हम मिल गए !क्यूँ किसी की ओर अनायास हमारा ध्यान बढ़ता ही जाता है /?क्यूँ कोई अनजान हमें खुद से भी ज्यादा अजीज लगने लगता है ? काश इस पुनर्जन्म को समझने के लिए कोई जादू होता और हम अपने प्रश्न का उत्तर पा जाते ?
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