११४.डिप्रेशन
जय श्री कृष्णा
मेरा लेख बदायूं एक्सप्रेस पर ,
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http://www.badaunexpress.com/good-morning/a-3227/
महिलाओं में डिप्रेशन क्यों होता है? क्या कभी किसी ने इस बात पर गौर करने की कोशिश की है ?क्या डिप्रेशन सिर्फ कामकाजी महिलाओं में ही होता है? घरेलू महिलाएं क्या इससे अछूती है ?कौन कब किस स्थिति से गुजर रहा है /गुजर रही है ,क्या इसका सामने वाला जरा भी अनुमान लगा सकता है ? जीवन की विभिन्न परिष्तिथियाँ ,हार्मोन परिवर्तन ,सामाजिक दायरे कुछ ऐसी घटनाएं उत्पन्न कर देते हैं जहां खुद को सामान्य रखना कभी कभी डिप्रेशन में पहुंचा देता है । यदि एक औरत अपनी बातों को किसी से साझा करती भी है तो सामने वाला व्यक्ति उसको नकारात्मक का उलाहना देकर चुप कर देता है ।यहां ये भी सोचने वाली बात है कि हर व्यक्ति की सामाजिक स्थिति में बहुत अंतर होता है ।किसी से भी अपनी बात को समझने की उम्मीद करना यानि खुद को दुखी करना ही है ।एक स्त्री के जीवन में बचपन से लेकर बृद्धावस्था तक बहुत सारे शारीरिक परिवर्तन होते हैं ,जिनकी वजह से भी वो कभी कभी स्वयं को हताश समझने लगती है । यहां एक बात गौर करने योग्य है कि ऐसी स्थिति में घर परिवार वालों का सकारात्मक सहयोग ही उसको उस स्थिति से निकाल सकता है ।
“कमजोर नहीं हम बलशाली हैं ,
धरती की तरह हिम्मत वाली हैं ।
गुजर जाएंगे ये भी कठिन दिन ,
स्वयं को यही याद दिलानी है ।”
एक औरत स्वयं को भुलाकर अपनोँ के लिए जीती है तो क्या आप सभी का फ़र्ज नहीँ कि उसको भी कुछ खुशियां दें।आइये आज से हम स्वयं को कमजोर न समझकर आगे बढ़ें ।ये जिंदगी हमें भी खुश रहने के लिए मिली है ,फिर सारी दुनिया से सिर्फ हमसे ही उम्मीद क्यों ?
वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़
“कमजोर नहीं हम बलशाली हैं ,
धरती की तरह हिम्मत वाली हैं ।
गुजर जाएंगे ये भी कठिन दिन ,
स्वयं को यही याद दिलानी है ।”
एक औरत स्वयं को भुलाकर अपनोँ के लिए जीती है तो क्या आप सभी का फ़र्ज नहीँ कि उसको भी कुछ खुशियां दें।आइये आज से हम स्वयं को कमजोर न समझकर आगे बढ़ें ।ये जिंदगी हमें भी खुश रहने के लिए मिली है ,फिर सारी दुनिया से सिर्फ हमसे ही उम्मीद क्यों ?
वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़
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