१५४,विजयादशमी
जब तक अपने कुत्सित विचारों पर अंकुश नहीं लगा पाएंगे विजयादशमी का अर्थ कैसे समझ पाएंगे ।
मोहहबत है खुदा मेरा ,भजन है इंसानियत ।
देखकर दूसरों का दुख आंसूं न आये आंखों में ,
कैसा है वो दीन धर्म ।
(शेरो शायरी जरिया है ग़मों को बांटने का ,
इबादत में खुदा की जन्नत की गुजारिश क्यों ?)
देखकर दूसरों का दुख आंसूं न आये आंखों में ,
कैसा है वो दीन धर्म ।
(शेरो शायरी जरिया है ग़मों को बांटने का ,
इबादत में खुदा की जन्नत की गुजारिश क्यों ?)
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