105,jeevan
Meri kavita Amar ujala kavy par
https://www.amarujala.com/kavya/mere-alfaz/versha-varshney-jeevan
थककर बेरहम जमाने से आंसुओं को पीना सीख लिया
अक्सर लोगों से सुना उसने जीना सीख लिया।
अल्फाजों को ढालकर गम के गहरे समंदर में
हमने जबसे दर्द का दामन सीना सीख लिया ।
बन जाता है मरहम दर्द का गहरा सागर भी
लड़कर तूफानों से हमने चलना सीख लिया ।
जज्बातों की कद्र करेगा क्या कोई इस दुनिया में
कांटों पर चलकर मंजिल को पाना सीख लिया।
नदिया की धारा जैसी हैं विपरीत दिशाएं जीवन की
कश्ती हैं हिम्मत की, चट्टानों से लड़ना सीख लिया ।
आत्म विश्वास ही जीवन ,ईश्वर को सखा मान लिया
नववर्ष की शुभ बेला में आशा का दामन थाम लिया ।
अक्सर लोगों से सुना उसने जीना सीख लिया।
अल्फाजों को ढालकर गम के गहरे समंदर में
हमने जबसे दर्द का दामन सीना सीख लिया ।
बन जाता है मरहम दर्द का गहरा सागर भी
लड़कर तूफानों से हमने चलना सीख लिया ।
जज्बातों की कद्र करेगा क्या कोई इस दुनिया में
कांटों पर चलकर मंजिल को पाना सीख लिया।
नदिया की धारा जैसी हैं विपरीत दिशाएं जीवन की
कश्ती हैं हिम्मत की, चट्टानों से लड़ना सीख लिया ।
आत्म विश्वास ही जीवन ,ईश्वर को सखा मान लिया
नववर्ष की शुभ बेला में आशा का दामन थाम लिया ।
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