108.Han me aurat hun
https://www.amarujala.com/kavya/mere-alfaz/versha-varshney-hanmain-aurat-hun
मैं हूँ कामिनी ,मैं हूँ दामिनी
हैं चंचल कटाक्ष नेत्र भी
साहस की मैं हूँ स्वामिनी
मैं हूँ रागिनी ,मैं हूँ यामिनी
है मुझमें सरगम भरी हुई
त्याग और धैर्य की हूँ प्रतिभागिनी
मैं हूँ दुर्गा ,मैं हूँ काली
तेज है मुझमें समाया हुआ
वीरता की हूँ सौदामिनी
मैं हूँ माँ ,मैं हूँ अनुगामिनी
प्यार की करती हूं बरसातें
हूँ बेटी जैसी बड़भागिनी
मैं हूँ धरिणी ,मैं हूँ जननी
मारकर मुझे कैसे खुश रह पाओगे
मैं ही तो हूँ जन्मदायिनी
मैं हूँ मिश्री ,मैं हूँ तीखी
मत छेड़ना रौद्र रूप को
आ जाऊँ जिद पर तो हूँ गजगामिनी
मैं हूँ शील ,मैं हूँ वेद वाणी भी
सीखते हो चलना ऊँगली पकड़कर
मैं ही हूँ वो जीवन दायिनी
माना कि बीज तुम्हारा है
खून देकर लेकिन मैंने संभाला है
कोसते हो फिर क्यों आज भी
संसार है मुझसे ,मैं ही तो हूँ
ईश्वर की जीती जागती कामायनी
- वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़
https://www.amarujala.com/kavya/mere-alfaz/versha-varshney-hanmain-aurat-hun
मैं हूँ कामिनी ,मैं हूँ दामिनी
हैं चंचल कटाक्ष नेत्र भी
साहस की मैं हूँ स्वामिनी
मैं हूँ रागिनी ,मैं हूँ यामिनी
है मुझमें सरगम भरी हुई
त्याग और धैर्य की हूँ प्रतिभागिनी
मैं हूँ दुर्गा ,मैं हूँ काली
तेज है मुझमें समाया हुआ
वीरता की हूँ सौदामिनी
मैं हूँ माँ ,मैं हूँ अनुगामिनी
प्यार की करती हूं बरसातें
हूँ बेटी जैसी बड़भागिनी
मैं हूँ धरिणी ,मैं हूँ जननी
मारकर मुझे कैसे खुश रह पाओगे
मैं ही तो हूँ जन्मदायिनी
मैं हूँ मिश्री ,मैं हूँ तीखी
मत छेड़ना रौद्र रूप को
आ जाऊँ जिद पर तो हूँ गजगामिनी
मैं हूँ शील ,मैं हूँ वेद वाणी भी
सीखते हो चलना ऊँगली पकड़कर
मैं ही हूँ वो जीवन दायिनी
माना कि बीज तुम्हारा है
खून देकर लेकिन मैंने संभाला है
कोसते हो फिर क्यों आज भी
संसार है मुझसे ,मैं ही तो हूँ
ईश्वर की जीती जागती कामायनी
- वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़
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