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Saturday, 17 September 2016

कटुता और जीवन

न जाने क्यों कभी आशा के पंख लगाकर ,
दे जाती हैं संदेसा कुछ दूर जाती हवाएं ।।

संवार देती हैं खामोश पलों को कुछ इस तरह ,
दहकती हुई आग में जैसे शीतल फुहारें ।।

मस्ती का हो मौसम या हो सुस्त समां जीवन का
यादें ही तो हैं प्यार  की वो अनूठी सी सदायें ।।

ढलती शाम का असर दिखने लगता है जब कभी मन को भिगो जाती अतीत की महकती कथाएं।

जीवन के अनजाने पल भी सीख दे जाते हैं
आओ फिर से लौट चलें लेकर उनसे कुछ विस्मृत सी लेकिन सन्देश देती पावन परंपराएं ।।

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