१२४.नफरत
नफरतों में ही जीना चाहता है हर इंसान
क्यूकी प्यार से है वो परेशान
जीना सिखा है जिसने बस नफरतों में ही
क्या सिखाएगा किसी को वो हैवान
जलता है घर किसी का क्यूँ खुश होता है
आज वो हर इंसान ,
जिसने न सीखा मदद करना कभी किसी की
वो क्या देगा अपने बच्चों को पैगाम
कर रहे हो आज जो वही तो सीखेगा
कल जो आने वाला है मेहमान
फिर मत देना दोष कल को
क्यूकि वही तो है तुम्हारा फरमान ||
क्यूकी प्यार से है वो परेशान
जीना सिखा है जिसने बस नफरतों में ही
क्या सिखाएगा किसी को वो हैवान
जलता है घर किसी का क्यूँ खुश होता है
आज वो हर इंसान ,
जिसने न सीखा मदद करना कभी किसी की
वो क्या देगा अपने बच्चों को पैगाम
कर रहे हो आज जो वही तो सीखेगा
कल जो आने वाला है मेहमान
फिर मत देना दोष कल को
क्यूकि वही तो है तुम्हारा फरमान ||
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